नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच जारी तनावपूर्ण संघर्ष में अमेरिका की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। हाल ही में इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ को अंजाम दिया, जिसे अमेरिकी समर्थन का परिणाम माना जा रहा है।
हडसन इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑपरेशन में इजरायल ने धोखे और मनोवैज्ञानिक युद्ध की रणनीति का सफलतापूर्वक उपयोग किया, जिससे ईरान की सैन्य और परमाणु क्षमताओं को गंभीर झटका लगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान की प्रतिक्रिया अब तक रक्षात्मक रही है, जबकि इजरायल ने हवाई और सूचना क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता बनाए रखी है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिकी दबाव और इजरायली हमलों के बावजूद आत्मसमर्पण करने से साफ इनकार कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खामेनेई और उनके परिवार को तेहरान के लवीजान इलाके में एक भूमिगत बंकर में सुरक्षित कर दिया गया है, ताकि इजरायल के संभावित हमले से बचा जा सके। ईरान इंटरनेशनल के सूत्रों के मुताबिक, खामेनेई के बेटे मोज्तबा समेत पूरा परिवार उनके साथ है। यह बंकर पहले भी ‘ट्रू प्रॉमिस 1 और 2’ ऑपरेशंस के दौरान उपयोग में लाया गया था।
खामेनेई ने अपने लोगों को संबोधित करते हुए चेतावनी दी कि अगर अमेरिका और इजरायल सीधे हस्तक्षेप करते हैं, तो ईरान उन्हें “जबरदस्त नुकसान” पहुंचाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान ईरान की ऐतिहासिक रणनीति को दर्शाता है, जहां नेतृत्व ने हमेशा वैचारिक जीवटता को प्राथमिकता दी है, जैसा कि 2021 में जर्नल ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज में प्रकाशित एक अध्ययन में उल्लेख किया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को हवाई जहाज एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ईरान से बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग की। एपी न्यूज के अनुसार, ट्रंप ने कहा, “हमें सिर्फ युद्धविराम नहीं, बल्कि एक स्थायी अंत चाहिए।” हालांकि, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के विपरीत, जो दावा करती हैं कि ईरान अभी परमाणु हथियार नहीं बना रहा, ट्रंप ने इस मूल्यांकन को खारिज कर दिया। उनका रुख ईरान पर दबाव बढ़ाने और परमाणु कार्यक्रम पर रियायतें हासिल करने की एक कूटनीतिक चाल मानी जा रही है, लेकिन इससे तनाव और बढ़ने का खतरा भी है।
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका अभी तक खामेनेई को निशाना बनाने से बच रहा है, जो इस संकट को नियंत्रित करने की कोशिश को दर्शाता है। हालांकि, ईरान की चेतावनी और क्षेत्रीय गतिरोध के बीच स्थिति और जटिल होती जा रही है। हडसन इंस्टीट्यूट के अनुसार, ऑपरेशन राइजिंग लायन अमेरिका के लिए एक सबक है कि प्रभावी काउंटरप्रोलिफरेशन के लिए सैन्य और कूटनीतिक रणनीति का संयोजन जरूरी है।