नई दिल्ली: इजरायल ने गाजा में हमास के साथ युद्धविराम के लिए अमेरिका और फिलिस्तीनी मध्यस्थों द्वारा प्रस्तावित समझौते को मानने से इनकार कर दिया है। इस निर्णय से न केवल गाजा में जारी संघर्ष को और लंबा खींचने की आशंका बढ़ गई है, बल्कि यह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्य पूर्व नीति के लिए भी एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट कर दिया है कि वे हमास को पूरी तरह खत्म करने तक युद्ध जारी रखेंगे। इस बयान के बाद से ही गाजा में शांति की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। वीडियो में विभिन्न फ्रेम और सबटाइटल्स के माध्यम से संघर्ष की गंभीरता को दर्शाया गया है, जिसमें सैन्य तैयारियां, राजनीतिक बयानबाजी और गाजा में मानवीय संकट जैसे पहलू शामिल हैं।
गाजा में खाद्य असुरक्षा की स्थिति और भी गंभीर हो गई है, जहां संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 तक आधी से अधिक आबादी आपातकालीन या आपदा जैसी खाद्य असुरक्षा का सामना करेगी। वीडियो में दिखाए गए दृश्यों में गाजा के लोगों की भूख और विनाश की कहानियां शामिल हैं, जहां 11,000 बच्चों के अगले 24 घंटों में मौत का खतरा मंडरा रहा है।
अमेरिका की ओर से, ट्रंप प्रशासन गाजा युद्ध को समाप्त करने के लिए इजरायल पर दबाव डाल रहा है, जैसा कि व्हाइट हाउस अधिकारियों ने ऐक्सिओस को बताया है। हालांकि, नेतन्याहू की ओर से इस प्रस्ताव को ठुकराना ट्रंप की मध्य पूर्व नीति के लिए एक चुनौती बन गया है। हमास ने हाल ही में बंधक एडन अलेक्जेंडर को रिहा करके वार्ता को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन इजरायल ने इसे सैन्य दबाव के रूप में देखा, न कि युद्धविराम की ओर एक कदम।
इजरायल के इस रुख से मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ने की आशंका है, जबकि गाजा के लोगों के लिए मानवीय स्थिति और भी खराब होती जा रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर चिंतित है और शांति बहाली के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं, लेकिन नेतन्याहू की कठोर नीति के कारण ये प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं।