नई दिल्ली : भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को साफ कर दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सीजफायर समझौता दोनों देशों ने आपसी बातचीत के जरिए किया है। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उनकी मध्यस्थता से यह सीजफायर संभव हुआ। जयशंकर ने नीदरलैंड्स में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान ट्रंप के दावे की पोल खोलते हुए कहा कि भारत ने किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया और पाकिस्तान को सीधे बात करने के लिए कहा था।
जयशंकर ने बताया, “10 मई को पाकिस्तान की सेना ने हॉटलाइन के जरिए संदेश भेजा कि वे गोलीबारी रोकने को तैयार हैं। हमने अमेरिका समेत सभी देशों से साफ कहा था कि अगर पाकिस्तान सीजफायर चाहता है, तो उसे भारत से सीधे बात करनी होगी।” उन्होंने यह भी खुलासा किया कि इस दौरान अमेरिका, नीदरलैंड्स समेत कई देश भारत और पाकिस्तान दोनों से संपर्क में थे। जयशंकर ने कहा, “जब दो देशों के बीच तनाव होता है, तो अन्य देशों का संपर्क करना स्वाभाविक है, लेकिन सीजफायर का फैसला भारत और पाकिस्तान ने आपस में लिया।”
यह पूरा घटनाक्रम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से शुरू हुआ, जिसमें आतंकवादियों ने मासूम पर्यटकों पर गोलीबारी की थी। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तल्खी बढ़ गई। भारत ने जवाबी कार्रवाई में 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया गया। अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में कई ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसमें पाकिस्तान के पंजाब प्रांत जैसे बड़े आबादी वाले क्षेत्र भी निशाना बने।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और एयर आईएसआई प्रमुख असीम मलिक ने भारतीय एनएसए अजीत डोवल से संपर्क साधा था। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया था कि सीजफायर सिर्फ भारत की शर्तों पर होगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच 10 मई को दोपहर 3:30 बजे बात हुई, और शाम 5 बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयां रोकने पर सहमति बनी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ बैठक के दौरान दावा किया था कि उन्होंने भारत-पाक सीजफायर को संभव बनाया। ट्रंप ने कहा, “हमने भारत और पाकिस्तान के बीच पूरे मामले को सुलझा दिया, और मैंने इसे व्यापार के जरिए हल किया।” हालांकि, जयशंकर ने साफ किया कि अमेरिका की भूमिका सिर्फ संपर्क तक सीमित थी। उन्होंने कहा, “अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पीएम मोदी से बात की, और विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने मुझसे संपर्क किया, लेकिन अंतिम फैसला भारत और पाकिस्तान ने लिया।”
कश्मीर दोनों देशों के बीच लंबे समय से विवाद का केंद्र रहा है। 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से दोनों देश कश्मीर पर पूर्ण दावा करते हैं, लेकिन इसका प्रशासन आंशिक रूप से दोनों के पास है। इस क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच दो युद्ध भी हो चुके हैं। हालिया तनाव के बाद भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी में अपनी भागीदारी निलंबित कर दी थी, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते को निलंबित करने की धमकी दी थी।
सीजफायर समझौते के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर उल्लंघन के आरोप लगाए थे, लेकिन 11 मई तक यह समझौता कायम रहा। ट्रंप ने रविवार सुबह अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर दोनों देशों के नेताओं की तारीफ करते हुए कहा कि इस समझौते से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।