मुंगेर जिले की राजनीतिक हलचल अब और तेज़ हो गई है। जमालपुर विधानसभा सीट से चार बार के विधायक और पूर्व मंत्री शैलेश कुमार (Shailesh Kumar Resigns JDU) ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से इस्तीफा दे कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व को चुनौती दी है। शैलेश कुमार ने कल देर शाम एक वीडियो संदेश जारी करते हुए बताया कि वे जदयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे के साथ ही जदयू के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि पार्टी पर कुछ नेताओं का कब्ज़ा हो गया है, जो सामान्य कार्यकर्ताओं और पुराने नेताओं के अधिकारों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
पिछली बार 2020 के विधानसभा चुनाव में शैलेश कुमार कांग्रेस के अजय सिंह से केवल 4432 वोटों से हार गए थे। उस चुनाव में लोजपा के उम्मीदवार दुर्गेश सिंह ने 14643 वोट हासिल किए थे, जबकि शैलेश कुमार को 52764 और अजय सिंह को 47196 मत मिले थे। इस बार शैलेश कुमार को उम्मीद थी कि उन्हें जमालपुर विधानसभा का टिकट दिया जाएगा, खासकर जब 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया था।
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लेकिन, जब 7 अक्टूबर को जदयू ने उम्मीदवारों के नाम घोषित किए, तो शैलेश कुमार का नाम सूची से हटा दिया गया और टिकट नचिकेता मंडल को दे दिया गया। नचिकेता मंडल, पूर्व सांसद ब्रह्मानंद मंडल के पुत्र हैं और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के करीबी माने जाते हैं। इस अचानक बदलाव से आहत होकर शैलेश कुमार ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया और अब वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस भी उन्हें अपना प्रत्याशी बना सकती है, जिससे आगामी चुनाव में जमालपुर की राजनीति और अधिक रोचक और चुनौतीपूर्ण हो जाएगी।
इस इस्तीफे के साथ ही शैलेश कुमार ने ललन सिंह, संजय झा और विजय चौधरी पर पार्टी पर कब्ज़ा करने का गंभीर आरोप लगाया। उल्लेखनीय है कि भागलपुर से मौजूदा जदयू सांसद अजय मंडल ने भी हाल ही में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, जो पार्टी के भीतर असंतोष के संकेत हैं।