नई दिल्ली : जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। यह फैसला हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया।
मदनी ने कहा, “अगर कोई पानी रोकना चाहता है, तो रोक ले… ये नदियाँ हजारों सालों से बहती आ रही हैं, इनका पानी कहाँ ले जाओगे? यह इतना आसान नहीं है। मेरा मानना है कि हमें प्यार का नियम अपनाना चाहिए, नफरत का नहीं। मैं एक मुसलमान हूँ, मैं इस देश में अपनी जिंदगी बिता रहा हूँ, और मुझे पता है कि यहाँ जो चीजें बढ़ावा दी जा रही हैं, वो देश के लिए ठीक नहीं हैं।”
भारत के इस फैसले से पाकिस्तान में गहरी चिंता है, क्योंकि वह सिंधु नदी के पानी पर अपनी कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए काफी हद तक निर्भर है। पाकिस्तान ने इस कदम को “युद्ध की कार्रवाई” करार देते हुए चेतावनी दी है।
मदनी की टिप्पणी और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। एक तरफ जहाँ कुछ लोग उनके “प्यार और शांति” के संदेश का समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रवादी भावनाओं से प्रेरित लोग इसे देश के खिलाफ एक बयान मान रहे हैं।