आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान जोन के बैनर तले सैकड़ों आदिवासी संथाल समाज की महिला- पुरुषों ने चांडिल के सिकली रेलवे लाईन को जाम कर दिया। जिस कारण आनन्द बिहार नयी दिल्ली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस, बरकाकाना हाटिया यात्री ट्रेन बाधित रहा। समिति ने मांग किया कि पारसनाथ को आदिवासी संथाल समाज को अविलंब दिया जाय। साथ ही ओलचीकी भाषा को मान्यता दिया जाए। आंदोलनकारी सोना राम सोरेन ने कहा कि जैन धर्म को हटाकर आदिवासी संथाल समाज को पारसनाथ सौंपा जाय नहीं तो 11अप्रैल को पूरे भारत वर्ष में रेल चक्का जाम रहेगा। चांडिल रेलवे पुलिस एवं चांडिल पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझा बुझाकर जाम को हटाया। करीब तीन घंटे बाद जाम हटाने के बाद आवागमन चालू हुआ।
Bokaro: ‘हम आदिवासी स्थानीय है, फिर भी हम हो रहे हैं शोषित

आदिवासी सेंघल मोर्चा के बैनर तले लोगों ने देवनरायण मुर्मू के नेतृत्व में बोकारो-रांची मुख्य मार्ग को लगभग 4 घंटे तक सैकड़ो महिला-पुरुषों के साथ चक्का जाम कर दिया। दरअसरल झारखंड के आदिवासी समुदाय के लोगों के द्वारा अभी सरना कोड की मांग रुकी नहीं थी, कि इसी बीच पारसनाथ पहाड़ की बात चालू हो गई। देवनरायण मुर्मु ने बताया कि झारखड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पारसनाथ पहाड़ को जैनियों के बीच बेचने का काम किया है, जबकि पारसनाथ पहाड़ आदिवासियों का मारंग बुरु है, जो हम लोग किसी भी कीमत पर इसे बेचने नहीं देंगे। जिस तरह से अयोध्या को हिन्दुओ ने लिया उसी तरह से हम लोग भी लेकर रहेंगे। इस लगभग दो घंटे के जाम में फंसे लोगों का हालत बेहाल दिखा। वहीं प्रशासन जाम हटाने में जुटी रही।
वर्षों से आदिवासियों का हो रहा है शोषण
आदिवासी समुदाय अपने अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर एक बार फिर से मुखर होती दिखी। वहीं रांची-बोकारो मुख्य मार्ग को आदिवासी सेंघल मोर्चा के बैनर तले आदिवासी ने सड़क पर उतरकर बैनर पोस्टर ले हेमंत सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि हेमंत सरकार जल्द सरना धर्म कोड लागू करें। जमीन हमारा, जंगल हमारा, पहाड़ हमारा, फिर भी हम उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। वहीं आदिवासी सेंघल मोर्चा के बैनर तले नेतृत्व कर रही देवनारायण मुर्मू ने बताया कि वर्षों से आदिवासियों का शोषण हो रहा है।
हम आदिवासी स्थानीय है, फिर भी हम शोषित हो रहे हैं। जल, जंगल, जमीन पर राजनीति हो रही है लेकिन हमारा विकास नहीं हो रहा है हम जहां हैं। वहीं पर ठहर गए जरूरत है, अब आदिवासी सरना धर्म कोड लागू हो, इससे आदिवासियों का बहुत हद तक विकास होगा और न्याय मिलेगा। वंही कुर्मी की आदिवासी मांग पर बताया कि यह गलत है और इसका भी हमलोग जोरदार विरोध करते है और ये ऐसा नही होगा।