दीपावली का त्योहार हर बार खुशियां लेकर आता है लेकिन पिछले 2 सालों से इस त्योहार में कोरोना का खलल पड़ा हुआ था। लेकिन इस बार हालात काफी हद तक सुधर चुके हैं और इन्हीं सुधरते हालातों की बदौलत लोगों के चेहरों पर मुस्कान है। इन्हीं मुस्कुराते चेहरों में एक चेहरा उस कुम्हार का भी है जो मिट्टी के बर्तन बनाकर दीपावली के त्योहार में लोगों के घरों को रोशन करता है। दीपावली पर्व हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है जिसमें लोग ज्यादातर मिट्टी से बने दीये और खिलौने का ही इस्तेमाल करते हैं। मिटटी से बने हुए दीयो को कुम्हार बड़ी ही सफाई से बनाते हैं जिसके लिए कुम्हार काफी समय पहले से ही तैयारी करनी शुरू कर देते हैं। कोरोना काल के बाद इस बार कुम्हारों के काम में तेज़ी देखने को मिल रही है। जिससे कुम्हार काफी खुश नजर आ रहे हैं।
शिल्पकार हस्त निर्मित वस्तुओं की कर रहें हैं बिक्री
जमशेदपुर मे दीपावली के त्यौहार मे लोकल फॉर वोकल का बोलबाला दिख रहा है, जहां बोकारो के चन्दनक्यारी से शिल्पकार शहर पहुंचकर अपने हस्त निर्मित वस्तुओं की बिक्री कर रहें हैँ, और शहरवासी इन मिट्टी के सामानो की खूब खरीदी कर रहें हैँ। देश के प्रधानमंत्री ने तमाम देशवासियों से लोकल फॉर वोकल यानि स्थानीय व्यापारियों को बढ़ावा देने की अपील आम जनता से की है, वैसे विगत दो वर्ष कोरोना काल के कारण छोटे मोटे व्यापारीयों को काफ़ी नुकसान का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस वर्ष लोग जमकर खरीदी कर रहें हैँ।
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लोग सामानों की खरीदारी भी खूब कर रहें हैं
चन्दनक्यारी से शहर पहुंचे शिल्पकार एक से बढ़कर एक हस्तनिर्मित मूर्ति, दिये एवं सजावट के समान लेकर शहर पहुंचे हैँ। वहीं लोग इन सामानो की खरीदी भी खूब कर रहें हैँ। यहां सामानो की खरीदी करने पहुंचे ग्राहकों की माने तो ये तमाम मिट्टी के सामान उत्कृष्ट है और वाज़िब दामों मे मिलते हैँ, हमें चीनी सामानो को दरकिनार करते हुए भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाते हुए स्थानीय शिल्पकारों से सामानो की खरीदी करनी चाहिए, वहीँ शिल्पकारों की माने तो काफ़ी मेहनत से इन तमाम वस्तुओं का निर्माण वे करते हैँ जो लोगों को काफ़ी पसंद आता है, इन्होने इस वर्ष अच्छे व्यापार की उम्मीद जताई है।