[Team insider] पूरे देश में महाशिवरात्रि की धूम है। पूरा वातावरण भगवान भोलेनाथ के जयकारों से गुंजायमान है। सुबह से ही शिवालयों में भोले के भक्तों की भीड़ लगी है। भगवान भोलेनाथ की पूजा हो और मिथिलांचल का जिक्र ना, हो ऐसा हो नहीं सकता। मिथिलांचल में महाशिवरात्रि की खास महत्ता है।
रुद्राभिषेक कर पूरे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना
लौहनगरी जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित परमहंस लक्ष्मी नाथ गोस्वामी मंदिर के महाकाल शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के मौके पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसकी खासियत यह है, कि यहां मिट्टी के सवा लाख शिवलिंग बनाई जाती है और उसका रुद्राभिषेक कर पूरे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना किया जाता है। उसके बाद भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया जाता है। इस विशेष पूजा को पार्थिव पूजन के नाम से जाना जाता है।
सदियों से चली आ रही है पार्थिव पूजन की परंपरा
मैथिल समाज की महिलाएं, कुंवारी कन्याएं और बुजुर्ग इस पार्थिव पूजन में बढ़- चढ़कर हिस्सा लेते हैं और परिवार व समाज कल्याण की कामना करते हैं। मान्यता है कि पार्थिव पूजन से भगवान भोलेनाथ सारे कष्टों को हर लेते हैं। इसकी जानकारी देते हुए समिति के सचिव भगवान दत्त झा ने बताया कि महाशिवरात्रि के मौके पर पार्थिव पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पूरे विधि- विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सवा लाख शिवलिंग की पूजा की जाती है। तत्पश्चात भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया जाता है।