प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में टिकट बंटवारे के बाद से ही असंतोष उत्पन्न हो गया। पटना स्थित पार्टी कार्यालय में उस समय माहौल गरम हो गया जब पार्टी ने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। जैसे ही यह सूची सार्वजनिक हुई, टिकट की उम्मीद लगाए बैठे कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने खुलकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। गुस्साए समर्थकों ने नारेबाजी की, पार्टी के पोस्टर फाड़े और यहां तक कि कार्यालय परिसर में धक्का-मुक्की तक की नौबत आ गई।

जानकारी के अनुसार, टिकट सूची जारी होने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, लेकिन पार्टी संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) उसमें मौजूद नहीं थे। उनकी गैरमौजूदगी से असंतोष और गहराया। पार्टी के अंदर से मिली जानकारी के मुताबिक, कई पुराने और सक्रिय कार्यकर्ताओं को सूची से बाहर रखा गया, जबकि कुछ नए और अपरिचित चेहरों को टिकट दे दिया गया, जिससे गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है।
जनसुराज की पहली लिस्ट में 51 नाम, आरसीपी की बेटी को टिकट, केसी सिन्हा और वाईवी गिरि भी मैदान में
विरोध कर रहे नेताओं का आरोप है कि “जन सुराज में टिकट बंटवारे में पारदर्शिता की कमी रही। जिस पार्टी की नींव जनता के सहभागिता और पारदर्शिता पर रखी गई थी, वह खुद अब आंतरिक असंतोष का शिकार हो रही है।” कुछ नेताओं ने तंज कसते हुए कहा कि “जन सुराज अब ‘जन विवाद’ बन गया है।”
इमामगंज विधानसभा 2025: जीतन राम मांझी की धरोहर और HAM-RJD के बीच सियासी टकराव
वहीं, पार्टी के पदाधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उम्मीदवारों का चयन योग्यता, जनसंपर्क और क्षेत्रीय लोकप्रियता के आधार पर किया गया है। उनका कहना है कि पार्टी अभी विस्तार के चरण में है और ऐसे में हर निर्णय राजनीतिक संतुलन और सामाजिक प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखकर लिया जा रहा है।






















