नई दिल्ली : भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आज नई दिल्ली में कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात की। यह बैठक चौथे भारत-मध्य एशिया संवाद के तहत आयोजित की गई, जो भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। इस दौरान क्षेत्रीय सहयोग, व्यापार, प्रौद्योगिकी और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह संवाद मध्य एशिया के देशों के साथ भारत के कूटनीतिक संबंधों को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री शामिल हो रहे हैं, जो 6 जून को औपचारिक रूप से आयोजित होने वाले संवाद का हिस्सा हैं। इस मंच का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है, साथ ही चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति पर भी ध्यान देना है।
बैठक के दौरान भारत और इन देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया गया। तस्वीरों में विदेश मंत्री जयशंकर को कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ हाथ मिलाते और बातचीत करते देखा गया। पृष्ठभूमि में भारत, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और यूरोपीय संघ के झंडे भी दिखाई दिए, जो इस आयोजन के व्यापक भू-राजनीतिक महत्व को दर्शाते हैं।
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत मध्य एशिया के साथ अपने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने के लिए कई पहल कर रहा है। चाबहार बंदरगाह समझौता और अश्गाबात समझौता जैसे कदमों के जरिए भारत, ईरान के रास्ते मध्य एशिया तक व्यापारिक पहुंच को आसान बनाने की कोशिश कर रहा है। यह क्षेत्र ऊर्जा संसाधनों से समृद्ध है और भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
इस संवाद को विशेषज्ञ भारत की उस रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं, जिसके तहत वह मध्य एशिया में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है और क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। इस मुलाकात से भारत-मध्य एशिया संबंधों में एक नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है।