केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है। कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। कांग्रेस जाति जनगणना को लेकर काफी मुखर थी, और पार्टी के सांसद राहुल गांधी लगातार इस मुद्दे को उठा रहे थे। अब केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस इसका पूरा श्रेय ले रही है। इधर जदयू के राज्यसभा सांसद और कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगा दिया है।
उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि भारत में आजादी से पहले हुई जनगणना में जातिवार आंकड़े भी दर्ज किए गए थे। लेकिन, वर्ष 1951 में कांग्रेस की सरकार ने इसे बंद करवा दिया था। सामाजिक रूप से वंचित तबकों की सटीक पहचान करने और उनके लिए अधिक कारगर योजना बनाने की राह में जातिगत आंकड़ों की अनुपलब्धता एक बड़ी बाधा बन रही थी। विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक समूहों द्वारा की जा रही मांग के मद्देनजर यूपीए सरकार ने 2011 की जनगणना में जातियों का सर्वे कराने का फैसला किया, लेकिन, उन आंकड़ों में इतनी ज्यादा विसंगतियां थीं, कि उसे सार्वजनिक तक नहीं किया गया।
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अब NDA सरकार द्वारा पूरे देश में सटीक जातीय गणना कराने का ऐतिहासिक फैसला वंचित तबकों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, जिसके सुखद परिणाम आनेवाले वर्षों में दिखेंगे। इससे पहले सामान्य वर्ग के गरीबों को संविधान संशोधन के जरिये 10% आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला भी NDA सरकार ने ही किया था, जिसकी कांग्रेस सरकारों द्वारा लगातार उपेक्षा की गई थी।
उन्होंने कहा कि देशभर में आगामी जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराने के ऐतिहासिक फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का संपूर्ण जदयू परिवार की ओर से कोटिश: आभार एवं अभिनंदन। हमें विश्वास है, इस फैसले से वंचित तबकों के कल्याण एवं उत्थान के लिए और अधिक कारगर योजना बनाने में मदद मिलेगी।
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जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘न्याय के साथ विकास’ की अपनी नीति के अनुरूप, देश में सबसे पहले बिहार में पूरी पारदर्शिता के साथ जातीय गणना करा कर उसका परिणाम भी सार्वजनिक कर दिया है। उनका स्पष्ट मानना है कि सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करने और लक्षित तबकों के कल्याण के लिए सटीक योजना बनाने के उद्देश्य से विभिन्न जातियों का सटीक आंकड़ा होना जरूरी है।