नई दिल्ली : यूक्रेन ने रूस के खिलाफ एक अभूतपूर्व और साहसिक ड्रोन हमले को अंजाम दिया है, जिसे ‘ऑपरेशन स्पाइडर वेब’ नाम दिया गया है। इस हमले में यूक्रेन ने 20 साल पुराने ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर ‘ArduPilot’ का इस्तेमाल कर रूस के एक-तिहाई से ज्यादा स्ट्रैटेजिक लॉन्ग-रेंज बॉम्बर्स को नष्ट कर दिया। यह हमला 1 जून 2025 को रूस के भीतर गहराई में स्थित पांच वायुसेना अड्डों—बेलाया, ड्यागिलेवो, इवानोवो सेवरनी, ओलेन्या और यूक्रेनका—पर किया गया, जिसमें 117 ड्रोन्स का इस्तेमाल हुआ।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन में यूक्रेन ने ArduPilot सॉफ्टवेयर का उपयोग किया, जिसे 2007 में WIRED के पूर्व एडिटर-इन-चीफ क्रिस एंडरसन ने हॉबीस्ट ड्रोन्स के लिए विकसित किया था। यह सॉफ्टवेयर मूल रूप से शांतिपूर्ण कार्यों जैसे सर्च एंड रेस्क्यू, 3D मैपिंग और कृषि उपयोग के लिए बनाया गया था, लेकिन यूक्रेन ने इसे युद्ध में हथियार के रूप में इस्तेमाल कर एक नया उदाहरण पेश किया। ArduPilot की मदद से ड्रोन्स ने GPS-गाइडेड नेविगेशन, ऑटोमेटेड टेक-ऑफ और हवा में स्थिरता बनाए रखी, जिससे यह हमला बेहद प्रभावी साबित हुआ।
यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) ने इस ऑपरेशन को 18 महीने की लंबी योजना के बाद अंजाम दिया। ड्रोन्स को रूस में तस्करी कर ट्रकों और स्टोरेज शेड्स में छिपाया गया था। इन ट्रकों पर लकड़ी के कंटेनर लगाए गए थे, जो देखने में साधारण केबिन जैसे लगते थे। हमले के समय इन कंटेनरों की छतें रिमोट से खोली गईं, और विस्फोटकों से लदे ड्रोन्स ने उड़ान भरकर अपने लक्ष्यों पर हमला किया। खास बात यह रही कि इन ड्रोन्स ने रूसी मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल कर कम्युनिकेशन किया, जिसमें बेसिक मोडेम और Raspberry Pi जैसे बोर्ड्स का उपयोग हुआ। आमतौर पर जाम हो जाने वाले सैटेलाइट सिस्टम्स जैसे Starlink पर निर्भरता से बचते हुए यूक्रेन ने इस बार कम तकनीक वाले समाधान को चुना, जो बेहद कारगर साबित हुआ।
यूक्रेन के दावे के अनुसार, इस हमले में रूस के 40 से ज्यादा सैन्य विमानों को नुकसान पहुंचा, जिसमें Tu-160, Tu-95 और Tu-22M जैसे स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स और एक A-50 हवाई चेतावनी विमान शामिल हैं। बेलाया एयर बेस पर कम से कम चार बॉम्बर्स के बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि रडार सैटेलाइट इमेजरी से हुई है। यह हमला रूस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि लक्षित विमान न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम थे। रूस ने हमले की पुष्टि तो की, लेकिन यूक्रेन के दावों को अतिशयोक्तिपूर्ण बताया है।
जेलेंस्की ने की तारीफ, ऑपरेशन की सफलता पर गर्व
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने इस ऑपरेशन की सफलता पर गर्व जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा, “हमने रूस के 34 प्रतिशत स्ट्रैटेजिक क्रूज मिसाइल कैरियर्स को निशाना बनाया। हमारे कर्मियों ने रूस के कई क्षेत्रों में तीन अलग-अलग टाइम जोन्स में यह ऑपरेशन किया।” जेलेंस्की ने यह भी बताया कि इस ऑपरेशन में मदद करने वाले सभी एजेंट्स को हमले से पहले रूस से सुरक्षित निकाल लिया गया था।
ArduPilot के डेवलपर्स ने इस सॉफ्टवेयर के सैन्य उपयोग पर हैरानी जताई है। क्रिस एंडरसन ने एक लिंक्डइन पोस्ट में कहा कि यह सॉफ्टवेयर शांतिपूर्ण उपयोग के लिए बनाया गया था और इसके युद्ध में इस्तेमाल की उन्होंने “लाखों सालों में भी कल्पना नहीं की थी।” हालांकि, ओपन-सोर्स होने के कारण इस सॉफ्टवेयर को कोई भी मॉडिफाई कर सकता है, जिसने इसे इस हमले के लिए उपयुक्त बना दिया।
ऑपरेशन स्पाइडर वेब ने आधुनिक युद्ध में कम लागत वाली तकनीक और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के उपयोग को एक नया आयाम दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला भविष्य के युद्धों में ड्रोन्स और स्वायत्त प्रणालियों की भूमिका को और बढ़ाएगा। दूसरी ओर, रूस ने इस हमले के बाद एंगेल्स और मोरोज़ोव्स्क एयर बेस पर संभावित हवाई खतरे को लेकर आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है।
यह ऑपरेशन न केवल तकनीकी नवाचार का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक छोटा देश सीमित संसाधनों के साथ बड़े पैमाने पर प्रभाव डाल सकता है। इस हमले ने वैश्विक स्तर पर सैन्य रणनीतियों पर चर्चा को तेज कर दिया है।