[Team insider] बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान की देवी सरस्वती को समर्पित है। हिंदी भाषा में, “बसंत” का अर्थ है वसंत, और “पंचमी” का अर्थ है पांचवां दिन। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था और वह ज्ञान और ज्ञान की देवी हैं। छात्र मूर्ति के पास अपनी किताबें और कलम लगाकर देवी की पूजा करते हैं। इस साल यह त्योहार 5 फरवरी को मनाया जा रहा है। राजधानी रांची समेत राज्यभर में शिक्षण संस्थानों और घरों में बहुत उत्साह के साथ लोगों ने मनाया। कोरोना के कारण राज्यभर शिक्षण संस्थाएं बंद लेकिन आपदा प्रबंधन की बैठक के बाद 4 फरवरी से राज्यभर की स्कूल खुलने के बाद सरस्वती पूजा धूमधाम से की जा रही है।
वसंत पंचमी के सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 05 फरवरी की सुबह 03 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी, जो कि अगले दिन 06 फरवरी को सुबह 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। ऐसे में सुबह 07 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक सरस्वती पूजा के साथ अन्य मांगलिक कार्य का शुभ मुहूर्त रहेगा।
वसंत पंचमी का महत्व
शास्त्रों में वसंत पंचमी तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया है। कोई भी शुभ कार्य और पूजा करना बहुत ही मंगलकारी और फलदायी होता है। वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार देवी सरस्वती को सृष्टि, ज्ञान, संगीत, कला, ज्ञान और शिक्षा की अधिष्ठाती देवी माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार ये भी माना जाता है कि इस दिन पीला वस्त्र पहनने, माथे पर पीला चंदन लगाने और शैक्षाणिक संस्थानों में माता सरस्वती की पूजा करने का महत्व होता है।
मां सरस्वती की वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥