[Team insider] जल जंगल और जमीन के लिए प्रसिद्ध झारखंड के चतरा जिला के अस्तित्व पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। दिन प्रतिदिन बढ़ती सूर्य की तपिश और बढ़ते पारा यहां निवास कर रहे मानव और जीव जंतु के साथ-साथ प्राकृतिक धरोहर पर आफत बनकर टूट रही है। जी हां चतरा जिले में महुआ चुनने वाले ग्रामीणों द्वारा जंगलों में सूखे पत्तों को जलाने की नियत से लगाए गए। आग की लपटें अब ना सिर्फ लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है, बल्कि चतरा जिले के लिए चुनौती पेश कर रहा है।
धधकती आग में पेड़-पौधे और जीव-जंतु जलकर राख
बता दें कि जिले के हंटरगंज प्रखंड अंतर्गत वशिष्ठ नगर जोरि थाना क्षेत्र के कोल्हुआ जंगल में लगी भीषण आग ने भयंकर तबाही मचा रखी है। हजारों एकड़ में फैले इस जंगल में विगत 15 दिनों से धधकती आग में पेड़ पौधे जलकर राख हो गए हैं, जिसे जंगल में निवास करने वाले जीव जंतु पक्षियों की जान आफत में आ गई है। वहीं कई जीव जंतु इस आग की लपटें में आकर अपनी जान गवां रहे हैं, या फिर इस आग से बचने के लिए गांव में घुसकर मनुष्यों को शिकार बना रहे हैं।
ग्रामीणों में पनप रहा है आक्रोश
ताज्जुब की बात तो यह है इतना कुछ होने के बाद भी वन विभाग अनजान बनकर मौन व्रत धारण किए हुए हैं। यह सब देख ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा है। वहीं ग्रामीण वन विभाग से आग पर काबू पाने में सहयोग की गुहार लगा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग सहयोग नहीं कर रही है। ऐसे में जंगल के साथ-साथ अगर लोगों का घर जल गया तो भीषण चिलचिलाती धूप में सर छुपाने के लिए भी जगह नहीं बचेगा।
गौरतलब है कि महुआ चुनने की नियत से ग्रामीणों के द्वारा जंगलों में आग लगाई जाती है, जिसके बाद आग बुझाया नहीं जाता है और ऐसे में लगाई गई मामूली आग धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करने लगती है।