[Team Insider] राज्य के वित्तमंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने मंगलवार को कहा है कि संसद में पेश 2022-23 के आम बजट से जनता को घोर निराशा हुई है। केंद्रीय आम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि बजट काल्पनिक साहित्य जैसा है। पहले दो करोड़ नौकरियों की बात थी, अब 60 लाख बजट में बात की गयी है। जबकि हकीकत है कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों ने 2020 में 6.4 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी में ढकेल दिया। बहुत हो हल्ला था कि कोरोना के बाद ऐसा बजट होगा जिससे देश का काया कल्प हो जाएगा, सरकार के एक सदस्य होने के नाते हम कह सकते हैं कि आम लोग और गरीब होंगे।
आम बजट में गरीबी से उठाने का कोई स्पष्ट विजन
डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि महंगाई से त्रस्त जनता को राहत कैसे मिले, किसानों की आय दुगुनी कैसे होगी। इस पर सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई दी है। वित्तमंत्री ने कहा है कि सच्चाई यह है कि सालाना प्रति व्यक्ति वास्तविक आय में गिरावट आयी है। वर्ष 2020-21 में प्रति व्यक्ति आय 17589 से गिरकर 16975 रुपये हो गया है। अमृत काल 2022-23 में जहां 80 करोड़ लोग सरकारी मुफ्त अनाज पर आश्रित है, उनको गरीबी से उठाने का कोई स्पष्ट विजन नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वे के अनुसार सरकार की आय में जबरदस्त उछाल देखा गया,2020 की तुलना में 64.9 प्रतिशत राजस्व में बढ़ोत्तरी हुई, जबकि ऑक्सफैम रिपोर्ट के अनुसार 2021 के दौरान भारत में 84 प्रतिशत परिवारों की आय घट गयी।
डॉ. उरांव ने कहा कि रोबस्ट टैक्स संग्रहण काल के बावजूद आयकर दाता को कोई राहत नहीं दी गयी है। एनपीएस में वर्तमान में सरकारी कर्मचारी को अपने बेसिक वेतन प्लस डीए पर 10 प्रतिशत राशि जमा करने की सीमा को 14 प्रतिशत तक जमा करने की मामूली राहत है। उन्होंने कहा कि हेल्ड इंश्योरेंस पॉलिस प्रीमियम स्टैंडर्ड डिडक्शन में कटौती सीमा होम लोन में प्रिंसिपल पेमेंट और ब्याज भुगतान पर राहत की बड़ी उम्मीद थी। लेकिन सबको निराशा हुई है।
ये बजट आम लोगों के लिए नहीं ख़ास लोगों के लिए: राजेश ठाकुर
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि बजट बोगस है। सरकार व्यापार कर रही है।वित्त मंत्री के अनुसार यह बजट 25 वर्ष का ब्लू प्रिंट है। अर्थात् ‘अच्छे दिन’ के लिए 2047 तक इंतज़ार करना होगा। ये बजट आम लोगों के लिए नहीं ख़ास लोगों के लिए है। इसलिए इसे आम बजट न बोलकर ख़ास बजट कहा जा सकता है। 5 राज्यों के चुनाव के मद्देनजर बेरोज़गारों, किसानों एवं ग़रीबों को छलने हेतु नया जुमला दिया गया है किन्तु ये पब्लिक है सब जानती है,जुमलेबाजों को पहचानतीं है,अंदर क्या है बाहर क्या है, ये पब्लिक है सब जानती है ।
बजट सिर्फ आय-व्यय का ब्योरा है : बादल पत्रलेख
वहीं कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि बजट में कहा गया है कि हीरे के गहने सस्ते होंगे, इससे सरकार का विजन स्पष्ट होता है। बजट सिर्फ आय-व्यय का ब्योरा है। आमदनी कहां से होगी। यह नहीं बताया गया है। जून 2022 में राज्यों को दिए जाने वाले जीएसटी क्षतिपूर्ति के मियाद पूरे होने वाले हैं। सभी राज्यों ने इसे अगले 5 वर्ष तक बढ़ाने का अनुरोध वित्तमंत्री सीतारमण से कहा था और ऐसा पत्र डा.रामेश्वर उरांव ने लिखा भी था। लेकिन ऐसा नहीं करके झारखण्ड जैसे प्रदेश के साथ नाइंसाफी हुई है।बादल ने कहा जब जब यूपी में चुनाव होते हैं। भाजपा को गंगा याद आती है।