झारखंड के डीजीपी के पद पर नीरज सिन्हा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर शीघ्र सुनवाई की अपील को सुप्रीम कोर्ट के वकील आदित्य जैन (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड) ने निराधार बताया है। आदित्य जैन ने कहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा इस आधार पर शीघ्र सुनवाई की मांग की जा रही है कि नीरज सिन्हा 31 जनवरी को रिटायर हो गए हैं लेकिन पद पर बने हुए हैं। जबकि यह बिल्कुल निराधार और गलत है। आदित्य जैन ने कहा कि याचिकाकर्ता राजेश कुमार तथ्यों को कोर्ट के सामने सही तथ्य प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं।

‘यूपीएससी के पैनल से हुई है डीजीपी की नियुक्ति’
आदित्य जैन ने कहा कि नीरज सिन्हा की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग द्वारा भेजे गए मौजूदा पैनल में नामों से की गई है। इस नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का ही एक फैसला है जिसमें स्पष्ट है कि एक बार पुलिस महानिदेशक की नौकरी के लिए एक उम्मीदवार का चयन हो जाने के बाद, उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख पर ध्यान दिए बिना उसका कम से कम दो साल का कार्यकाल होना चाहिए। साथ ही राज्य के पुलिस महानिदेशक का चयन राज्य सरकार द्वारा विभाग के तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से किया जाएगा, जिन्हें संघ लोक सेवा आयोग द्वारा उनकी सेवा की अवधि के आधार पर उस पद पर पदोन्नति के लिए पैनलबद्ध किया गया है। इसके अलावा उक्त आदेश में यह भी कहा गया है कि एक बार नौकरी के लिए चुने जाने के बाद, उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख पर ध्यान दिए बिना कम से कम दो साल का न्यूनतम कार्यकाल होना चाहिए।
‘11 फरवरी 2023 से पहले नहीं हट सकते नीरज सिन्हा’
आदित्य जैन ने यह भी बताया है कि नीरज सिन्हा की नियुक्ति उक्त प्रावधानों के अनुरूप ही हुई है। इसलिए उच्चतम न्यायालय के उपर्युक्त निर्णय के आधार पर नीरज सिन्हा को दो साल से पहले नहीं हटाया जा सकता है। दो साल की अवधि 11 फरवरी 2023 को पूरी हो रही है। इसलिए नीरज सिन्हा के सेवानिवृत्ति की आयु पार करने के संबंध में याचिकाकर्ता का तर्क न्यायालय के पूर्वोक्त निर्णय के आलोक में कोई प्रासंगिकता नहीं रखता है। उपर्युक्त तथ्यों और कानून से यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि वर्तमान मामले में प्रतिवादी ने किसी भी प्रकार के न्यायालय के आदेश का उल्लंघन नहीं किया है और न ही अवमानना का कोई कार्य किया है।