[Team Insider] भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आसनसाेल उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने पहुंचे। जहाँ शनिवार को रांची लौटने के दौरान धनबाद सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत की और कहा की पश्चिम बंगाल उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत होगी। सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को वहां हार का सामना करना पड़ेगा क्योंकि वे बाहरी प्रत्याशी है सिर्फ मुंबई से चुनाव लड़ने आए हैं और वापस उन्हें मुंबई लौटना है बंगाल की जनता उन्हें स्वीकार नहीं करेगी।
1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति के विवाद को हवा दे रहे
बाबुलाल ने कहा कि प्रदेश की वर्तमान सरकार में शामिल दल अंदरूनी अंतर्कलह से जूझ रहे हैं। साझेदारों की आपसी खींचतान से प्रदेश का विकास लगभग थम सा गया है। इसी से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए वह 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति के विवाद को हवा दे रहे हैं।
मीडिया के सवालों के जवाब में मरांडी ने कहा कि बिहार से अलग होने के तुरंत बाद प्रदेश में उनके नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी। सरकार बनते ही उन्होंने स्थानीयता मुद्दे को हल करने के लिए सर्वदलीय सम्मेलन बुलाई, जिसमें बिहार के 1982 के स्थानीय एवं नियोजन नीति के आधार पर झारखंड में भी नियोजन की बात सभी ने सर्वसम्मति से तय की थी, लेकिन उनकी सरकार के जाते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
हालांकि रघुवर दास की सरकार ने भी इसी को आधार बना कर स्थानीय एवं नियोजन नीति लाई, जिसे राजनीतिक फायदे के लिए हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार ने खारिज करते हुए भाषा के आधार पर लोगों के बांटने का काम किया है।
सोरेन का स्टैंड इस मामले में लगातार बदलता रहा
उन्होंने कहा कि जब अर्जुन मुंडा राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब डिप्टी सीएम हेमंत सोरेन थे, लेकिन तब उन्होंने कुछ नहीं किया। सोरेन का स्टैंड इस मामले में लगातार बदलता रहा है। इस कारण आज तक स्थानीय एवं नियोजन नीति नहीं बन पाई।
वहीं कोयलांचल के विकास के सवाल पर उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार केवल यहां की संपदा का दोहन कर रही है। उनके मंत्री और दलों के कार्यकर्ता आम आदमी के विकास की जगह अपना आर्थिक विकास करने में लगे हुए हैं। इसके लिए वे हर तरह का अवैध तरीका अपनाने से भी नहीं चूक रहे। राज्य में कानून व्यवस्था अभी तक से सबसे खराब दौर से गुजर रही है। अपराधियों को राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है।