[Team insider] झारखंड के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों हलचल सी मची हुई है। एक और जहां सुबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनके परिवार पर विपक्ष लगातार गंभीर आरोप लगा रही है, तो वहीं दूसरी ओर जेएमएम भी भाजपा की कुंडली खंगालने में लगी हुई है। जिसके बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। जो सरकार की सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। ऐसे में प्रमुख सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कानूनी दलील देते हुए सब कुछ ठीक रहने की बात कही है। जबकि भाजपा ने इसे कोर्ट की अवमानना करार दिया है।
नेशनल कॉन्क्लेव में हेमंत सोरेन ने लिया हिस्सा
ऐसे में राज्य में उपजे हालात से बड़े बदलाव से इनकार नहीं किया जा सकता है। एक तरफ लगातर विपक्ष की भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार पर खनन लीज पट्टा मामले समेत अन्य मामलों को लेकर जोरदार हमला बोला है, साथ ही कानून के मुताबिक इस्तीफे की मांग की है। तो वहीं प्रधानमंत्री द्वारा न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के साथ नेशनल कॉन्क्लेव में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हिस्सा भी लिया है। जिसके बाद कई कयास लगाए जा रहे है।
हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कानूनी दलील पेश करते हुए कहा है कि किसी भी मामले में मुख्यमंत्री पद को कोई खतरा नहीं है। लेकिन विपक्ष की भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के कानूनी दलील पर भी हमला किया है। भाजपा का मानना है कि जब मामला कोर्ट में है। तब उस पर दलील देना कोर्ट की अवमानना है।
सत्ता से दूर रहने की वजह से भाजपा बेचैन
वहीं सत्ताधारी दल कांग्रेस में भाजपा पर हमला करते हुए कहा है कि सत्ता हासिल करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है। सत्ता से दूर रहने की वजह से भाजपा बेचैन है और सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है।
कांग्रेस आलाकमान देख रहें है घटनाक्रम
झारखंड सरकार की वर्तमान स्थिति पर दिल्ली की भी नजर तक है। गठबंधन सरकार के घटक दल कांग्रेस आलाकमान सारे घटनाक्रम देख रहें है। वही प्रधानमंत्री के बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शामिल होने के बाद झारखंड सरकार में बड़े बदलाव के कयास से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।