[Team insider] नेतरहाट फायरिंग रेंज का विरोध लंबे समय से चल रहा है। इसे लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत ने रांची प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर कहा कि दो दिन पूर्व नेतरहाट की वादियों में जान देंगे लेकिन जमीन नही देंगे नारा गुंजा है और यह 1994 से लगातार जंगलों में गूंज रहा है। वहीं उन्होंने बताया कि कि नेतरहाट फायरिंग रेंज 1400 एकड़ जमीन चिन्हित किया गया है, जिससे 245 गांव विस्थापित होगा।
हाथियों और भेड़ियों का किया जा रहा है संरक्षण
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में सभी को अपने जीवन मे खुल कर जीने का अधिकार मिलता है। उन्होंने कहा कि फायरिंग रेंज सेना से जुड़ा हुआ मामला है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए बडी-बडी योजना बनाई गई है, जिसमें सिर्फ आदिवासी विस्थापित हुए है। वर्षों से लोग वहां निवास करते है, लेकिन अब वह कहा जाएंगे। उसी नेतरहाट के क्षेत्र में हाथियों और भेड़ियों का संरक्षण किया जा रहा है। लेकिन आदिवासी लोग को उजाड़ने में क्या मिलेगा। क्या आदिवासी की कीमत जंगली जानवर से भी कम है। फील्ड फायरिंग रेंज को रद्द करने को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा लेकिन अब तक कुछ नही हुआ।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री को सौंपगें ज्ञापन
सरकार अगर फिर से इसे बढ़ाती है तो आदिवासियों को दंश झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा में पारित किया गया है कि अप्रैल में पैदल मार्च कर राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर इस परियोजना को आगे न बढ़ाने की मांग करेंगे।