[Team insider] झारखंड सरकार के कैबिनेट बैठक में पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर लगी मुहर के बाद तैयारियां जोरों पर है। राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव चार चरणों में हो सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग इसी के अनुसार तैयारी कर रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग में चुनाव को लेकर 23 फरवरी से लेकर 25 फरवरी तक निर्वाची पदाधिकारियों को ट्रेनिंग भी दिया गया।
पंचायत चुनाव ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से होगा
वहीं इस बार पंचायत चुनाव ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से होगा। जिसके कारण मतगणना में समय लगेगा। आयोग ने मतगणना के दौरान होने वाली परेशानी और स्ट्रांग रूम की सुरक्षा पर भी राज्य सरकार के अधिकारियों से बात की है। सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने इस बार बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने की तैयारी की है।
सभी वोटरों को दिए जाएंगे चार-चार बैलेट पेपर
राज्य में इस बार मुखिया के 4345, जिला परिषद सदस्यों के 536, पंचायत समिति सदस्यों के 5341 और ग्राम पंचायत सदस्यों के 53,479 पदों पर चुनाव हंगे। इसके लिए राज्य भर में कुल 53,479 बूथ बनाए जाएंगे। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कुल 2,44,73,937 वोटर भाग लेंगे। जिसमें 1,26,13,219 पुरुष और 1,18,60,442 महिला और 276 थर्ड जेंडर हैं। वहीं 3,95,798 युवा वोटर पंचायत चुनाव में भाग लेंगे। सभी वोटरों को चार-चार बैलेट पेपर दिए जाएंगे, जिन पर उन्हें मुहर लगाने होंगे।
उत्तर प्रदेश से मंगाए जा चुके हैं 50 हजार बैलेट बाक्स
इसके लिए करीब 50 हजार बैलेट बाक्स उत्तर प्रदेश से मंगाए जा चुके हैं। जबकि, करीब 52 हजार बैलेट बॉक्स पहले से झारखंड में हैं। मालूम हो कि विभिन्न जिलों में पंचायती राज के तीनों स्तरों पर पदों का आरक्षण तय कर दिया गया। राज्य निर्वाचन आयोग ने स्वतंत्र चुनाव चिह्नों को लेकर आदेश जारी किया है। इसके तहत प्रत्येक पदों के लिए 24-24 चुनाव चिह्न तय किए गए। वहीं, लगभग इतने ही चुनाव चिह्न को सुरक्षित भी रखा गया है।
कभी भी बज सकता है चुनावी बिगुल
चुनाव आयोग ने चुनाव की तैयारियां पूरी कर ली है। सरकार की हरी झंडी भी मिल गई है। ऐसे में माना जा रहा है मैट्रिक-इंटर की परीक्षा के बाद चुनाव कराए जा सकते हैं। ऐसा हुआ तो अप्रैल के अंतिम सप्ताह से लेकर मई के मध्य तक चुनाव संपन्न कराया जा सकता है। कोरोना संक्रमण के कारण पंचायत चुनाव समय से नहीं हो पाए। संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए हेमंत सरकार को दो बार कार्यकाल बढ़ाना पड़ा। हालांकि, चुनाव नहीं कराने से केंद्र से विभिन्न योजनाओं के लिए मिलने वाली राशि में परेशानी हो सकती है। इसको देखते हुए सरकार ने चुनाव को हरी झंडी दिखा दी है। बस अब कभी भी चुनावी बिगुल बज सकता है।