नई दिल्ली: भारत को जल्द ही नया मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) मिलने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को देश का अगला CJI नियुक्त किया गया है। वे 14 मई 2025 को शपथ लेंगे और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जो 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, का स्थान लेंगे। जस्टिस गवई भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे। इससे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन इस पद पर आसीन हो चुके हैं। जस्टिस गवई की नियुक्ति को सामाजिक प्रतिनिधित्व और न्यायिक समावेशिता की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
कौन हैं जस्टिस बी.आर. गवई?
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ। उन्होंने 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में अपने न्यायिक करियर की शुरुआत की थी। 2005 में वे स्थायी न्यायाधीश बने और 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। अब वे 52वें CJI के रूप में 14 मई को पदभार ग्रहण करेंगे। उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक होगा।
अहम मामलों में निभाई भूमिका
जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट की कई महत्वपूर्ण संवैधानिक बेंचों का हिस्सा रहे हैं। इनमें शामिल हैं:
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली बेंच
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज करने वाली ऐतिहासिक बेंच
नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई
इन मामलों में जस्टिस गवई की मौजूदगी ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के भीतर एक सशक्त और निष्पक्ष न्यायाधीश के रूप में स्थापित किया है।
कैसे हुआ चयन?
सीजेआई की नियुक्ति परंपरा के अनुसार सीनियरिटी के आधार पर होती है। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस गवई के नाम की औपचारिक सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी, जिसे मंजूरी दे दी गई है।
सामाजिक संदेश भी देता है यह नियुक्ति
जस्टिस गवई की नियुक्ति ना सिर्फ न्यायपालिका के लिए अहम है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समावेशिता की दृष्टि से भी एक मील का पत्थर है। यह संकेत है कि दलित समुदाय से आने वाले लोग भी देश की सर्वोच्च संस्थाओं का नेतृत्व कर सकते हैं। जस्टिस गवई की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब सुप्रीम कोर्ट कई संवेदनशील और अहम मामलों की सुनवाई कर रहा है। ऐसे में न्यायपालिका की दिशा और दृष्टिकोण पर उनकी छाप महत्वपूर्ण मानी जा रही है।