गंगटोक: पांच साल के लंबे अंतराल के बाद, कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू होने जा रही है। इस बार यह यात्रा जून 2025 से सिक्किम के नाथुला पास के रास्ते होगी। 2017 में डोकलाम विवाद और उसके बाद कोविड-19 महामारी के कारण यह यात्रा रोक दी गई थी। अब भारत-चीन सीमा पर तनाव में कमी के संकेतों के बीच इस मार्ग को फिर से खोलने की तैयारी पूरी हो चुकी है।
बता दें नाथुला मार्ग पर बुनियादी ढांचे का विकास अंतिम चरण में है। इस मार्ग को पहले 2015 में भारत और चीन के बीच एक सद्भावना पहल के तहत खोला गया था, लेकिन डोकलाम गतिरोध के बाद इसे बंद कर दिया गया था। अब यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सिक्किम सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
सिक्किम सरकार ने इस मार्ग पर यात्रियों की ऊंचाई से संबंधित समस्याओं को ध्यान में रखते हुए दो अनुकूलन केंद्र (acclimatization centers) स्थापित किए हैं। पहला केंद्र 16वें मील पर (लगभग 10,000 फीट) और दूसरा हंगू झील के पास (14,000 फीट) बनाया गया है। ये केंद्र यात्रियों को ऊंचाई के अनुरूप ढलने में मदद करेंगे, जिससे उनकी यात्रा सुरक्षित और आरामदायक होगी।
पारंपरिक लिपुलेख पास (उत्तराखंड) मार्ग की तुलना में नाथुला पास का रास्ता छोटा और कम कठिन है। इस मार्ग से यात्री गंगटोक, सिक्किम की राजधानी, से अपनी यात्रा शुरू करेंगे और भारत-चीन सीमा पार करते हुए तिब्बत में पवित्र कैलाश पर्वत तक पहुंचेंगे। यह यात्रा हिंदू और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
सिक्किम के लिए आर्थिक लाभ
नाथुला मार्ग के फिर से खुलने से सिक्किम की पर्यटन अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। स्थानीय विधायक थिनले त्शेरिंग भूटिया ने कहा, “सिक्किम यात्रियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और हम इस यात्रा को सुगम बनाने के लिए तैयार हैं। यह हमारे राज्य को आध्यात्मिक पर्यटन के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।”
कैलाश मानसरोवर यात्रा का संचालन भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा किया जाता है। नाथुला और लिपुलेख मार्गों से यात्रा के लिए बुकिंग और भुगतान सीधे मंत्रालय के माध्यम से ही किए जा सकते हैं। भारतीय टूर कंपनियां इस मार्ग पर बुकिंग स्वीकार करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे नवीनतम जानकारी और बुकिंग के लिए सीधे MEA से संपर्क करें।
यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने में भी एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।