गाजियाबाद : कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल के लंबे अंतराल के बाद फिर से शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से यात्रा के पहले जत्थे को रवाना किया गया, जो हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक यात्रा है। इस यात्रा का मार्ग तिब्बत में पवित्र माउंट कैलाश और मानसरोवर झील तक जाता है, जो सदियों से आध्यात्मिक शुद्धि और पुण्य के लिए जाना जाता है।
यात्रा का पुनरारंभ:
कैलाश मानसरोवर यात्रा, जो भू-राजनीतिक तनाव और कोविड-19 महामारी के कारण बाधित हो गई थी, अब फिर से शुरू हो गई है। आज गाजियाबाद से 50 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना हुआ, जो नाथू ला पास और लिपुलेख पास के माध्यम से अपनी यात्रा शुरू करेंगे।
आध्यात्मिक महत्व:
माउंट कैलाश और मानसरोवर झील हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मों के लिए पवित्र स्थल हैं। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
चुनौतियाँ और तैयारियाँ
यात्रा उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों से होकर गुजरती है, जिसके लिए तीर्थयात्रियों को विशेष तैयारियाँ करनी पड़ती हैं। कैलाश मानसरोवर भवन, जो 2020 में पूरा हुआ था, अब पहली बार तीर्थयात्रियों को ठहरने और औपचारिकताएँ पूरी करने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।
भू-राजनीतिक संदर्भ:
इस यात्रा के पुनरारंभ से भारत-चीन संबंधों में सामान्यीकरण की ओर एक कदम माना जा रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय ने भी इस यात्रा के फिर से शुरू होने की पुष्टि की है, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाता है।