बिहार की सियासत में हलचल मचाने वाला मामला एक बार फिर चर्चा में है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के एमएलसी राधाचरण साह के बेटे कन्हैया कुमार ने बुधवार को पटना की पीएमएलए विशेष अदालत में सरेंडर कर दिया। कन्हैया कुमार को इस मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, और अब उन्हें बेऊर जेल में रखा जाएगा।
इस कहानी का एक और मोड़ तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने कन्हैया कुमार की जमानत को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को आदेश दिया था कि पटना हाई कोर्ट द्वारा दी गई नियमित जमानत पीएमएलए की धारा 45 के विपरीत थी, इस कारण इसे रद्द किया जाता है। कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर कन्हैया कुमार को पीएमएलए कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया। इससे पहले, कन्हैया को पटना हाई कोर्ट से जमानत मिली थी, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और अंततः अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली।
बता दें कि यह मामला बालू के अवैध धंधे से जुड़ा है, जिसमें कन्हैया कुमार पर आरोप है कि उसने अपराध की आय को छिपाया और उससे खुद और अपने परिवार के नाम पर संपत्ति खरीदी। 18 सितंबर 2024 को कन्हैया कुमार को ईडी ने गिरफ्तार किया था और अदालत में पेश किया था। ईडी के अनुसार, कन्हैया ने 17 करोड़ 26 लाख 85 हजार रुपये का इस्तेमाल मनाली में रिसोर्ट और स्कूल जैसी संपत्तियों में निवेश किया था। ईडी ने आरोप लगाया कि इसके लिए हवाला नेटवर्क का भी इस्तेमाल किया गया था।
कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी ने राज्य की राजनीति में तूफान ला दिया है। जेडीयू के एमएलसी राधाचरण साह के बेटे होने के नाते कन्हैया की सियासी पृष्ठभूमि ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है। जांच एजेंसियों का दावा है कि छापेमारी के दौरान राधाचरण साह के परिसर से ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जो कन्हैया कुमार के अवैध कारोबारी मामलों की ओर इशारा करते हैं।