दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार को कई अहम सुझाव दिए हैं। 22 अप्रैल को बाइसरण घाटी में हुए इस आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी और 20 से अधिक लोग घायल हुए थे।
यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में हुआ सबसे घातक आतंकी हमला माना जा रहा है।कपिल सिब्बल ने कहा कि इस घटना पर गंभीर चर्चा के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि इस सत्र में सभी दलों से विचार-विमर्श कर एक सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जाए, ताकि देश की भावनाओं को वैश्विक मंच पर रखा जा सके।
सिब्बल ने कहा, “आतंकी, आतंकी होता है, उसका कोई धर्म नहीं होता। हमें दुनिया को यह संदेश देना होगा कि भारत इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं करेगा।”उन्होंने आगे सुझाव दिया कि भारत को अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, रूस और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में सत्ताधारी और विपक्षी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजना चाहिए। इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर स्थिति की गंभीरता को समझाना और आतंकवाद के खिलाफ कूटनीतिक दबाव बनाना होगा।
सिब्बल ने चेतावनी दी कि अगर इस तरह के कदम नहीं उठाए गए, तो भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ मजबूत दबाव बनाने में असफल रहेगा।इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक संगठन ने ली है, जो 2019 में कश्मीर में भारत द्वारा विशेष दर्जा खत्म करने के बाद अस्तित्व में आया था। हमले के बाद भारत सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही, पहलगाम में अस्थायी लॉकडाउन लगा दिया गया और आतंकियों की तलाश के लिए भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों को तैनात किया गया है।
“यह हमला भारत में आतंकवाद की गंभीर चुनौती को फिर से उजागर करता है, जिसकी जड़ें 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन से जुड़ी हुई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत रणनीति अपनाने की जरूरत है।