कटिहार विधानसभा Katihar Vidhansabha (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 63) बिहार की राजनीति में हमेशा से एक निर्णायक सीट मानी जाती रही है। इस सीट से अब तक 18 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें 3 उपचुनाव शामिल हैं। राजनीतिक इतिहास गवाह है कि यहां सत्ता का समीकरण कई बार बदला, लेकिन पिछले दो दशकों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी पकड़ बेहद मज़बूत कर ली है। हालांकि कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (MCP) भी इस सीट पर पांच-पांच बार जीत दर्ज कर चुकी हैं, लेकिन 1969 के बाद कांग्रेस को यहां सफलता नहीं मिली।
चुनावी इतिहास
कटिहार विधानसभा का राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। 1980 से 1995 तक यह सीट वाम दलों का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन 2000 के बाद BJP ने यहां अपना दबदबा स्थापित कर लिया। राज किशोर केसरी ने 2000 से 2010 तक लगातार जीत दर्ज कर भाजपा की नींव मजबूत की। 2011 में उनकी हत्या के बाद उनकी पत्नी किरण देवी ने उपचुनाव जीतकर यह साबित किया कि भाजपा का जनाधार बरकरार है। इसके बाद तार किशोर प्रसाद ने 2010, 2015 और 2020 में लगातार जीत दर्ज की और कटिहार को भाजपा का अजेय किला बना दिया।
Dhamdaha Vidhansabha: लेशी सिंह का किला या बदलते समीकरणों से खुलेगा नया अध्याय?
2015 के चुनाव में तार किशोर प्रसाद ने जेडीयू उम्मीदवार बिजय सिंह को 14,894 वोटों से हराया था, जबकि 2020 के चुनाव में उन्होंने राजद प्रत्याशी राम प्रकाश महतो को 10,519 वोटों से मात दी। भाजपा को 82,669 वोट मिले, जबकि राजद उम्मीदवार को 72,150 वोट हासिल हुए। यह लगातार तीसरी जीत थी, जिसने कटिहार में भाजपा की पकड़ को और पुख्ता कर दिया।
जातीय समीकरण
इस सीट पर ब्राह्मण, राजपूत और भूमिहार समुदाय भाजपा का मज़बूत आधार माने जाते हैं, जबकि मुस्लिम और यादव मतदाता अब भी राजद की रीढ़ हैं। एक ओर जहां RJD ने यादव और मुस्लिम समीकरण पर भरोसा किया, वहीं भाजपा ने सवर्ण और EBC समुदायों को साधकर इस पर कड़ी चुनौती दी।
Dhamdaha Vidhansabha: लेशी सिंह का किला या बदलते समीकरणों से खुलेगा नया अध्याय?
2025 का विधानसभा चुनाव इस सीट के लिए बेहद अहम होने वाला है। जहां एक ओर भाजपा अपनी साख बचाने के लिए मैदान में उतरेगी, वहीं राजद मुस्लिम-यादव गठजोड़ को मजबूत करने पर जोर देगा। कांग्रेस और वाम दल भी अपनी पुरानी जमीन तलाशने की कोशिश करेंगे। लेकिन फिलहाल के राजनीतिक हालात और पिछले नतीजों को देखते हुए कटिहार में भाजपा का पलड़ा भारी दिखाई देता है।






















