कोच्चि : केरल के कोच्चि तट के पास 25 मई को डूबे लाइबेरियाई मालवाहक जहाज MSC ELSA 3 से खतरनाक रसायनों के रिसाव ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। इस जहाज पर 640 कंटेनर लदे थे, जिनमें से 13 कंटेनरों में खतरनाक सामग्री थी। इनमें से 12 कंटेनरों में कैल्शियम कार्बाइड भरा हुआ था, जो समुद्र के पानी के संपर्क में आते ही ज्वलनशील एसिटिलीन गैस छोड़ता है। इस गैस से आग लगने और विस्फोट का खतरा बना हुआ है।
कैल्शियम कार्बाइड पानी के साथ प्रतिक्रिया करके एसिटिलीन गैस और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है। एसिटिलीन गैस बेहद ज्वलनशील होती है और छोटी सी चिंगारी या गर्मी से भी आग पकड़ सकती है, जिससे समुद्र में विस्फोट की आशंका है। इसके अलावा, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड पानी की क्षारीयता (pH) को बढ़ाता है, जो समुद्री जीवों के स्वास्थ्य, प्रजनन और अस्तित्व को प्रभावित कर सकता है। इससे मछलियों और अन्य जलीय प्रजातियों पर गंभीर असर पड़ सकता है, जिसका सीधा प्रभाव मछुआरों की आजीविका पर होगा।
जहाज पर 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल भी मौजूद था, जो रिसाव के कारण समुद्र में फैल रहा है। इसके अलावा, बाकी कंटेनरों में मौजूद अन्य रसायनों की जानकारी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जहाज से रिसने वाले रसायनों में पॉलीक्लोरिनेटेड बाइफिनाइल्स (PCBs) या पॉलीब्रोमिनेटेड डाइफिनाइल ईथर्स (PBDEs) जैसे जहरीले पदार्थ शामिल हैं, तो ये समुद्री जीवों में जैव संचय (bioaccumulation) का कारण बन सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक रिपोर्ट के अनुसार, गहरे समुद्र में पाए जाने वाले जीवों में PCB का स्तर सुरक्षित सीमा से 50 गुना अधिक पाया गया है, जो खाद्य श्रृंखला को प्रभावित कर मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकता है।
केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने तटीय इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। मछुआरों और स्थानीय लोगों को समुद्र तटों से दूर रहने और बहकर आए कंटेनरों या तेल को न छूने की सख्त हिदायत दी गई है। KSDMA ने लोगों से ऐसी किसी भी संदिग्ध वस्तु से कम से कम 200 मीटर की दूरी बनाए रखने और तुरंत पुलिस को सूचित करने को कहा है। भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard) ने अरब सागर में स्थिति पर नजर रखने के लिए तेल रिसाव का पता लगाने वाले विमानों को तैनात किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रसायनों और तेल के रिसाव से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को लंबे समय तक नुकसान पहुंच सकता है। अमेरिकी संस्था NOAA की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह की दुर्घटनाएं तटीय क्षेत्रों में मछली पकड़ने, पर्यटन और जैव विविधता को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं। रीफ रेजिलिएंस के आंकड़ों के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर नीले कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र (मैंग्रोव, दलदल, समुद्री घास) पहले ही 20-50% तक नष्ट हो चुके हैं, और इस तरह की घटनाएं स्थिति को और बदतर बना सकती हैं।
भारतीय तटरक्षक बल ने जहाज पर सवार सभी 20 लोगों को सुरक्षित बचा लिया है। अब रिसाव को रोकने और रसायनों को समुद्र में फैलने से बचाने के लिए कई टीमें काम कर रही हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रक्रिया आसान नहीं है, क्योंकि समुद्र में फैले कंटेनरों को निकालना और रिसाव को नियंत्रित करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। भारतीय सागरीय अनुसंधान केंद्र (INCOIS) ने कहा है कि वह स्थिति पर नजर रख रहा है और सभी संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहा है।
स्थानीय मछुआरों और तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों में इस घटना को लेकर डर का माहौल है। एक मछुआरे ने बताया, “हमारा पूरा परिवार मछली पकड़ने पर निर्भर है। अगर समुद्र प्रदूषित हो गया तो हमारी रोजी-रोटी छिन जाएगी।” वहीं, पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग भी चिंतित हैं, क्योंकि प्रदूषण से समुद्र तटों की खूबसूरती प्रभावित हो सकती है, जिससे सैलानियों की संख्या में कमी आ सकती है।