खेल जगत में एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करते हुए बिहार ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 (Khelo India Youth Games 2025) की मेजबानी न सिर्फ सफलतापूर्वक की, बल्कि अपने शानदार प्रदर्शन से पूरे देश को चौंका दिया। कभी खेल के क्षेत्र में पिछड़ा माना जाने वाला यह राज्य अब राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत दावेदार के रूप में उभर चुका है।
रिकॉर्ड प्रदर्शन: 36 पदक और 14वां स्थान
खेलो इंडिया यूथ गेम्स के सातवें संस्करण में बिहार ने कुल 36 पदक जीतकर 14वां स्थान प्राप्त किया, जिसमें 7 स्वर्ण, 11 रजत और 18 कांस्य पदक शामिल हैं। यह प्रदर्शन 2018 की तुलना में 620 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है- जब बिहार केवल एक कांस्य पदक के साथ प्रतियोगिता से बाहर हुआ था। इस वर्ष बिहार ने अपने पड़ोसी राज्य झारखंड को भी पीछे छोड़ दिया, जो परंपरागत रूप से खेलों में मजबूत माना जाता रहा है।
गांव-खेती से निकले अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी
बिहार का यह प्रदर्शन केवल पदकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने यह संदेश भी दिया कि राज्य के ग्रामीण इलाकों से भी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं। थांगटा (मणिपुर की पारंपरिक युद्ध कला), रग्बी, एथलेटिक्स और सेपक टाकरा जैसे खेलों में बिहार ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का ध्यान अपनी ओर खींचा।
खेल ढांचे में सुधार का दिखा असर
बिहार सरकार ने बीते कुछ वर्षों में खेल ढांचे को सुदृढ़ करने पर जोर दिया है। खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण देने के लिए देसी और विदेशी प्रशिक्षकों को नियुक्त किया गया, साथ ही अत्याधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं।
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राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविन्द्रण शंकरण ने कहा कि यह बिहार है, हम इतिहास लिखते नहीं, रचते हैं। यह उपलब्धि हमारे खिलाड़ियों की मेहनत और सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम है।क्रमिक सुधार की कहानी
2018: 1 कांस्य
2019: 5 पदक
2020: 9 पदक
2021: कोविड के कारण प्रदर्शन प्रभावित
2022 से 2025: निरंतर सुधार और विकास
खेलो इंडिया के पहले संस्करणों में बिहार का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा था। 2025 में खेलो इंडिया की मेजबानी करना भी बिहार के लिए एक बड़ी उपलब्धि रही, जिससे राज्य के युवाओं और खिलाड़ियों को न केवल मंच मिला, बल्कि देशभर से सम्मान भी प्राप्त हुआ।