नई दिल्ली: उत्तर कोरिया की बढ़ती परमाणु ताकत ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है। हाल ही में सामने आई एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि अगले एक दशक में उत्तर कोरिया की मिसाइलें अमेरिकी डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम हो सकती हैं। इस बीच, उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग-उन ने एक ऐसी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) तैयार कर ली है, जो पूरे अमेरिकी महाद्वीप को निशाना बना सकती है। इस खबर ने अमेरिका में सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता पैदा कर दी है।
क्या है यह नई मिसाइल?
रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया के पास वर्तमान में करीब 50 परमाणु वॉरहेड्स हैं। पिछले साल अक्टूबर में किम जोंग-उन ने एक ICBM का परीक्षण किया था, जिसकी मारक क्षमता 9320 मील (लगभग 15,000 किलोमीटर) तक बताई जा रही है। यह दूरी उत्तर कोरिया से अमेरिका के किसी भी हिस्से तक पहुंचने के लिए काफी है। इसके अलावा, अप्रैल 2025 में किम ने अपने पहले डिस्ट्रॉयर ‘चोए ह्योन’ से मिसाइल परीक्षणों का निरीक्षण किया, जिसमें सुपरसोनिक और स्ट्रैटेजिक क्रूज मिसाइलों का सफल परीक्षण किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस डिस्ट्रॉयर को रूस की तकनीकी सहायता से बनाया गया है।
अमेरिका की रक्षा प्रणाली कितनी तैयार?
उत्तर कोरिया की मिसाइलों से निपटने के लिए अमेरिका के पास ग्राउंड-बेस्ड मिडकोर्स डिफेंस सिस्टम (GMD) मौजूद है, जो इजरायल के आयरन डोम की तर्ज पर काम करता है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि आयरन डोम GMD से ज्यादा प्रभावी है। दूसरी ओर, ट्रंप प्रशासन ने भविष्य के हवाई खतरों से निपटने के लिए ‘गोल्डन डोम’ नामक एक नई डिफेंस प्रणाली पर काम शुरू किया है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया की बढ़ती मिसाइल क्षमता इस सिस्टम के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
अमेरिका के लिए खतरे की घंटी
पेंटागन की सहायक एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उत्तर कोरिया की ICBM मिसाइलें अमेरिका के किसी भी हिस्से को निशाना बना सकती हैं। अनुमान है कि वर्तमान में उत्तर कोरिया के पास 10 से कम ICBM हैं, लेकिन 2035 तक यह संख्या 50 तक पहुंच सकती है। ये मिसाइलें एक साथ कई परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं, जिससे अमेरिकी डिफेंस सिस्टम के सामने एक अभूतपूर्व चुनौती खड़ी हो सकती है।
रूस-उत्तर कोरिया गठजोड़ की आशंका
उत्तर कोरिया की इस सैन्य प्रगति में रूस की भूमिका ने भी चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया का पहला डिस्ट्रॉयर और उसकी मिसाइल तकनीक में रूस की मदद शामिल है। इसके अलावा, मार्च 2025 में उत्तर कोरिया ने एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी का निर्माण शुरू करने की घोषणा की थी, जिसमें भी रूसी तकनीक का इस्तेमाल होने की आशंका है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया और उनके सहयोगी देशों को डर है कि मॉस्को उत्तर कोरिया को हाई-टेक हथियार तकनीक मुहैया करा सकता है, जिससे उसका परमाणु कार्यक्रम और मजबूत हो सकता है।
अमेरिका की रणनीति क्या होगी?
उत्तर कोरिया की बढ़ती ताकत को देखते हुए अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने संयुक्त सैन्य अभ्यास तेज कर दिए हैं। अमेरिका ने अपने लंबी दूरी के बॉम्बर्स और परमाणु-संचालित पनडुब्बी को अस्थायी रूप से तैनात करने का फैसला भी लिया है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अमेरिका अपनी रक्षा प्रणाली को और मजबूत करने के लिए बड़े कदम उठा सकता है।
किम जोंग-उन की धमकी
किम जोंग-उन ने हाल ही में अपने परमाणु हथियारों के उत्पादन को तेज करने और अमेरिका के खिलाफ एक नए ‘शीत युद्ध’ में बड़ी भूमिका निभाने की बात कही थी। उत्तर कोरिया ने पिछले साल एक कानून भी बनाया था, जिसमें परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। दक्षिण कोरिया की रक्षा मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि अगर उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया, तो किम सरकार का अंत निश्चित है।
वैश्विक चिंता का विषय
उत्तर कोरिया की बढ़ती सैन्य ताकत न केवल अमेरिका, बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस खतरे को समय रहते नहीं रोका गया, तो यह वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है।