हो ची मिन्ह सिटी: एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पहल के तहत, भारत से भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष वियतनाम पहुंचे, जहां इन्हें संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस 2025 के अवसर पर सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए लाया गया। केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस अवशेष के साथ वियतनाम जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
यह आयोजन भारत और वियतनाम के बीच गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को और मजबूत करने का प्रतीक बन गया।वियतनाम बौद्ध विश्वविद्यालय के बुद्ध हॉल में आयोजित एक भव्य स्वागत समारोह में इन पवित्र अवशेषों को श्रद्धापूर्वक स्थापित किया गया। इस दौरान सैकड़ों बौद्ध भिक्षुओं और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में एक शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें भिक्षु पारंपरिक वाद्य यंत्रों जैसे शंख बजाते हुए दिखाई दिए।
पीले रंग की छतरियों और बौद्ध ध्वजों से सजी इस शोभायात्रा ने गहन आध्यात्मिक सद्भाव की झलक पेश की। इसके बाद अवशेषों को थान ताम पगोडा ले जाया गया, जहां 2 से 21 मई तक इन्हें सार्वजनिक दर्शन के लिए रखा जाएगा।इन पवित्र अवशेषों का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। ये अवशेष आंध्र प्रदेश के नागार्जुनकोंडा से खुदाई के दौरान प्राप्त हुए थे और माना जाता है कि ये 246 ईसा पूर्व से भी पुराने हैं।
वर्तमान में ये अवशेष सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में संरक्षित हैं। इस आयोजन को लेकर अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) ने भी उत्साह जताया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी साझा की।किरेन रिजिजू ने इस अवसर पर कहा, “यह आयोजन भारत और वियतनाम के बीच बौद्ध धर्म के साझा इतिहास को रेखांकित करता है। वियतनाम में बौद्ध धर्म का विशेष महत्व है, जहां अधिकांश आबादी महायान बौद्ध धर्म का पालन करती है।
इन अवशेषों को यहां लाना दोनों देशों के बीच शांति और सौहार्द का संदेश देता है।”आईबीसी के महानिदेशक अभिजीत हलदर ने बताया, “वियतनाम में बौद्ध अनुयायियों के लिए ये अवशेष केवल प्रतीक नहीं, बल्कि स्वयं भगवान बुद्ध का प्रतीक हैं। इस प्रदर्शनी का आयोजन वियतनाम के राष्ट्रीय दिवस और वेसाक दिवस के साथ मेल खाता है, जो इसे और भी खास बनाता है।” उन्होंने यह भी बताया कि इस अवसर पर भारत और वियतनाम के बीच बौद्ध कलाकृतियों की तुलनात्मक प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है, जिसमें दूसरी और तीसरी शताब्दी की प्राचीन कलाकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी।यह पहली बार है जब सारनाथ के बुद्ध अवशेषों को वियतनाम में प्रदर्शित किया जा रहा है।
यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। वियतनाम, जहां की आबादी का बड़ा हिस्सा बौद्ध धर्म को मानता है, में इस तरह के आयोजन दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और आध्यात्मिक संबंधों को और गहरा करते हैं।
वियतनाम में 13.3% आबादी आधिकारिक तौर पर बौद्ध धर्म को मानती है, लेकिन अनौपचारिक रूप से यह संख्या कहीं अधिक है। यह आयोजन भारत के संस्कृति मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से आयोजित किया गया। वियतनाम में बौद्ध धर्म, ताओवाद और स्थानीय परंपराओं के साथ एक अनूठा समन्वय प्रदर्शित करता है।