नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ अधिनियम संशोधन को लेकर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि देशभर में मुस्लिम समुदाय के बड़े वर्ग ने इस संशोधन विधेयक का समर्थन किया है, क्योंकि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और पारदर्शिता बढ़ाना है। रिजिजू ने कहा, मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा हिस्सा वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन कर रहा है। यह देखा गया है कि वक्फ की संपत्तियों का इस्तेमाल समुदाय की भलाई के लिए नहीं, बल्कि कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा अपने निजी हित में किया जा रहा है। हमारा मकसद इन संपत्तियों को सही हाथों में देना है।”
हाल ही में संसद से पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है। इसमें मनमाने ढंग से जमीनों को वक्फ घोषित करने पर कानूनी रोक, संपत्तियों की डिजिटल मैपिंग, और बोर्डों की जवाबदेही बढ़ाने जैसे प्रावधान शामिल हैं। सरकार का कहना है कि यह संशोधन वक्फ प्रशासन को आधुनिक और जनोन्मुखी बनाएगा, जिससे संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।
हालांकि, विपक्ष और कई मुस्लिम संगठनों ने विधेयक की कड़ी आलोचना की है। उनका आरोप है कि यह सरकार द्वारा धार्मिक अधिकारों पर हमला है। कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने राज्यसभा में बयान दिया, “भाजपा वक्फ विधेयक के ज़रिए धार्मिक ध्रुवीकरण की साजिश कर रही है, क्योंकि वह 2024 के चुनावों में बहुमत नहीं पा सकी।” वक्फ संपत्तियों का धार्मिक और सामाजिक महत्व भारत में लाखों एकड़ ज़मीन वक्फ संपत्ति के रूप में रजिस्टर्ड है, जिनका उपयोग मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, अनाथालयों और अन्य धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं के लिए होता है। 1995 के वक्फ अधिनियम के तहत इन संपत्तियों का प्रबंधन राज्य स्तर पर गठित वक्फ बोर्डों द्वारा किया जाता है।
नए संशोधन में इन बोर्डों की शक्तियों को पुनर्परिभाषित और नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है। सरकार का दावा है कि यह विधेयक समुदाय की वास्तविक जरूरतों और अधिकारों की रक्षा करेगा, वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक एजेंडा बता रहा है। इस मुद्दे को लेकर आने वाले हफ्तों में संसद से लेकर सड़क तक बहस तेज़ होने की संभावना है। साथ ही, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कानून नीतिगत सुधार साबित होता है या राजनीतिक विवाद।