नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की ओर से जो ‘प्रतिबिंब’ मॉड्यूल चलाया जा रहा है। इसके जरिए अब तक 6,046 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है।। बता दें कि यह मॉड्यूल अपराधियों के ठिकानों का पता लगाता है। गृह राज्य मंत्री बी. संजय कुमार ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बताया।
उन्होंने कहा कि साइबर अपराध डेटा शेयर और विश्लेषण के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के वास्ते समन्वय नामक प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है। यह अपराधों और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर अपराध की शिकायतों में शामिल अपराधियों के बीच अंतरराज्यीय संपर्क के आधार पर विश्लेषण मुहैया करता है। साईबर अपराध की रोकथाम को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रतिबिंब अपराधियों के ठिकानों को मैप पर दर्शाता है, ताकि उस क्षेत्राधिकार वाले अधिकारियों को उनके ठिकाने की जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि इस मॉड्यूल की मदद से 6,046 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है और 36,296 साइबर जांच सहायता अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने आई4सी की स्थापना देश में सभी तरह के साइबर अपराध से समन्वित तरीके से निपटने के लिए की है। संजय कुमार ने कहा, ‘राज्य/संघ राज्य क्षेत्र पुलिस के जांच अधिकारियों को शुरुआती चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए नई दिल्ली में आई4सी के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना की गई है। अब तक राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला ने साइबर अपराधों से संबंधित लगभग 11,835 मामलों में राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। वहीं सरकार ने सोमवार को लोकसभा में साइबर क्राइम को लेकर अहम जानकारी दी थी।
इसमें बताया गया कि चालू वित्त वर्ष में दिसंबर 2024 तक कार्ड, ऑनलाइन माध्यमों से और डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी के कारण लोगों को कुल 107 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बताया। उन्होंने कहा कि पूरे वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में इस तरह की धोखाधड़ी से 177 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। धोखाधड़ी के ऐसे कुल 29,082 मामले हैं, जिनमें राशि 1 लाख रुपये या उससे अधिक थी। मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि में धोखाधड़ी के 13,384 मामले सामने आए, जिनमें आम लोगों को 107.21 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।