कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को आपत्तिजनक वीडियो मामले में 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भारत एक विविधताओं से भरा देश है, और शर्मिष्ठा के वीडियो ने देश के एक वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही संविधान बोलने की आजादी की गारंटी देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए।
शर्मिष्ठा पनोली, जो पुणे लॉ यूनिवर्सिटी की छात्रा हैं और इंस्टाग्राम व एक्स पर 1,75,000 से अधिक फॉलोअर्स रखती हैं, को “ऑपरेशन सिंदूर” से जुड़े एक वीडियो के लिए गिरफ्तार किया गया था। इस वीडियो में उन्होंने कथित तौर पर अपमानजनक और सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किया था, जिसमें एक समुदाय और पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का आरोप लगा। वीडियो के वायरल होने के बाद कोलकाता में उनके खिलाफ कई FIR दर्ज की गईं, और 30 मई को कोलकाता पुलिस ने उन्हें गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। इसके बाद, उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, जो 13 जून तक चलेगी।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा, “हमें बोलने की आजादी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं। हमारे देश में विविधता है, और हमें इसका सम्मान करना चाहिए।” कोर्ट ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई में केस डायरी दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, इस मामले ने बोलने की आजादी और सार्वजनिक व्यवस्था के बीच संतुलन को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
विवाद बढ़ने के बाद शर्मिष्ठा ने 15 मई को एक्स पर एक पोस्ट साझा कर बिना शर्त माफी मांगी थी। उन्होंने लिखा, “मैं बिना शर्त माफी मांगती हूं। मेरे विचार व्यक्तिगत थे, और मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था। अगर किसी को दुख हुआ, तो मैं इसके लिए माफी चाहती हूं।” हालांकि, उनकी माफी के बावजूद, मामले ने तूल पकड़ लिया, और उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा।
इस मामले ने पश्चिम बंगाल में एक राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है। कई लोगों ने शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी को बोलने की आजादी पर हमला बताया, जबकि अन्य ने इसे धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए जरूरी कदम करार दिया। कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह मामला एक इंस्टाग्राम वीडियो से जुड़ा है, जिसमें एक खास समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई।”
इस मामले की अगली सुनवाई में कोर्ट द्वारा राज्य से केस डायरी मांगी गई है, जिसके आधार पर आगे का फैसला लिया जाएगा। यह मामला न केवल शर्मिष्ठा पनोली के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत में बोलने की आजादी और धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन को लेकर एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी स्थापित कर सकता है।