रायपुर : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला घोटाला मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। निलंबित आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, रानू साहू, सौम्या चौरसिया समेत कुल छह आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद आज रायपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। यह मामला राज्य की सियासत और प्रशासनिक गलियारों में लंबे समय से सुर्खियां बटोर रहा है, जिसमें ₹540 करोड़ की अवैध उगाही का आरोप है।
जांच एजेंसियों के अनुसार, यह घोटाला कोयला परिवहन से जुड़ा है, जिसमें सीनियर ब्यूरोक्रेट्स, राजनेताओं, व्यापारियों और बिचौलियों का एक गिरोह शामिल था। इस गिरोह ने राज्य में ट्रांसपोर्ट किए जाने वाले प्रत्येक टन कोयले पर ₹25 प्रति टन की अवैध वसूली की। जांच में सामने आया कि जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच इस कोयला कार्टेल ने करीब ₹540 करोड़ की उगाही की, जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर राजनीतिक खर्च, बेनामी संपत्ति बनाने और अधिकारियों को रिश्वत देने में किया गया।
इस मामले में सूर्यकांत तिवारी जैसे निजी व्यक्तियों और सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई जैसे सरकारी अधिकारियों ने कथित तौर पर नीतिगत बदलाव कर खनिज परिवहन में हेरफेर किया। यह पूरा रैकेट पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के दौरान संचालित हुआ, जिसमें सौम्या चौरसिया सीएम दफ्तर में उप सचिव के पद पर तैनात थीं।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू की थी। समीर विश्नोई को अक्टूबर 2022 में और सौम्या चौरसिया को दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था, जबकि रानू साहू को जुलाई 2023 में हिरासत में लिया गया। समीर विश्नोई 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उस समय छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी (Chips) के सीईओ थे, जबकि रानू साहू 2010 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और रायगढ़ जिले की कलेक्टर के पद पर तैनात थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 मई को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इन आरोपियों को अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन सख्त शर्तें भी लगाईं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी अगले आदेश तक छत्तीसगढ़ में नहीं रहेंगे, सिवाय इसके कि जांच एजेंसी या निचली अदालत में पेशी के लिए उपस्थित होना पड़े। इसके अलावा, आरोपियों को रिहा होने के एक सप्ताह के भीतर उस थाने में अपने निवास का पता दर्ज कराना होगा, जहां वे छत्तीसगढ़ के बाहर रह रहे होंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार को गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनमें भरोसा जगाने का भी निर्देश दिया।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता फैजल रिजवी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कुल आठ लोगों को अंतरिम जमानत दी थी, जिनमें से छह को रिहा कर दिया गया है। हालांकि, सूर्यकांत तिवारी और निखिल चंद्राकर को उनके खिलाफ चल रहे अन्य मामलों के कारण अभी रिहा नहीं किया गया है।
यह मामला न केवल प्रशासनिक सेवाओं के लिए एक बड़ा झटका रहा है, बल्कि इसने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी हलचल मचा रखी है। जांच अभी भी जारी है, और आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है।