Kumhrar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन ने भले ही अभी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है लेकिन जनसुराज ने 51 सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए हैं। इसमें एक सीट कुम्हरार भी शामिल है, जो राजधानी पटना के शहरी सीटों में से एक है। यहां से जनसुराज ने प्रो. केसी सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है, जो प्रख्यात शिक्षाविद हैं और पटना विवि के पूर्व कुलपति हैं। अब सवाल यह है कि पिछले तीन चुनावों में यहां से चुनाव जीतने वाली भाजपा क्या फिर अरुण कुमार सिन्हा पर भरोसा करेगी या फिर नया उम्मीदवार घोषित करेगी।
चूंकि अरुण कुमार सिन्हा की उम्र 74 वर्ष हो चुकी है तो माना जा रहा है कि भाजपा कुम्हरार से उम्मीदवार बदल सकती है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर चुनाव मैदान में भाजपा से कौन उम्मीदवार होगा। इसमें एक नाम जो सबसे आगे दिख रहा है वो है प्रो. रणबीर नंदन का जो अभी बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो. रणबीर नंदन पटना में लगातार सक्रिय रहते हैं। उनके पास सदन का अनुभव भी है क्योंकि वे 6 सालों तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे हैं। इसके अलावा एक और क्वालिटी जो प्रो. केसी सिन्हा के मुकाबले प्रो. रणबीर नंदन को फिट बताती है वो है पटना विश्वविद्यालय से उनका जुड़ाव। प्रो. नंदन पटना विश्वविद्यालय के स्टूडेंट रहे हैं और वहीं भूगर्भशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर भी हैं। प्रो. नंदन कुशल संगठनकर्ता भी हैं। साथ ही समाज के सभी वर्गों में अच्छी पकड़ है। ऐसे में चर्चा चल रही है कि एक शिक्षाविद के मुकाबले भाजपा दूसरे शिक्षाविद को टिकट दे सकती है।
इसके अलावा कुम्हरार सीट कायस्थ बहुल है और यहां से कायस्थ उम्मीदवार ही मैदान में रहते हैं। प्रो. केसी सिन्हा को उतार कर जनसुराज ने भी कायस्थ कार्ड खेला है। तो भाजपा भी कायस्थ और शिक्षाविद के कॉम्बिनेशन के रूप में प्रो. रणबीर नंदन को उतार सकती है। इससे भाजपा दोहरा हित साध सकती है। हालांकि उम्मीदवारों के नाम पर भाजपा अभी मंथन कर रही है जबकि पहले चरण के लिए नामांकन का आज दूसरा दिन है। 17 अक्टूबर तक नामांकन होना है और वोटिंग 6 नवंबर को होनी है।
माना जा रहा है कि भाजपा यदि प्रो. केसी सिन्हा के मुकाबले प्रो. रणबीर नंदन को उतारती है, तो यह मुकाबला “शिक्षाविद बनाम शिक्षाविद” के रूप में दिलचस्प और उच्च बौद्धिक स्तर का हो सकता है। इससे भाजपा न केवल कुम्हरार के कायस्थ मतदाताओं को साध पाएगी, बल्कि शिक्षित शहरी वर्ग में भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा।






















