बक्सर जिले के अहिया पूर गांव में हुए तिहरे हत्याकांड के सात दिन बाद आखिरकार बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह शनिवार को पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे, लेकिन यहां उन्हें गांव वालों और पीड़ित परिजनों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। इस घटना में कथित तौर पर शामिल रहे कुख्यात अपराधी मनोज यादव और संतोष यादव के गिरोह की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में गहरी पकड़ और लालू प्रसाद यादव व जगतनंद सिंह के परिवार से कथित संरक्षण की चर्चाएं पहले से ही चर्चा में हैं। ऐसे में सुधाकर सिंह के साथ राजद के जिला नेता और ब्रह्मपुर विधायक के एक साथ गांव पहुंचने से ग्रामीणों का गुस्सा और भड़क गया।
‘लालू-नीतीश-मोदी नहीं, अपने बच्चों का मुंह देखकर वोट कीजिएगा’
गांव वालों और पीड़ित परिवार के सदस्यों ने सांसद से तीखे सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि जब घटना हुई तब राजद का कोई नेता हालचाल लेने नहीं आया। न ही सोशल मीडिया या किसी सार्वजनिक मंच पर पार्टी ने संवेदना प्रकट की। एक पीड़ित ने पूछा, “सांसद जी, क्या हमारे बच्चे आपके वोटर नहीं थे? क्या उनका मरना सिर्फ आंकड़ा है? चौसा में तो आप अगले ही दिन पहुंच गए थे, यहां इतनी देरी क्यों?”

इस घटना को लेकर लगातार यह चर्चा है कि जिस गिरोह पर हत्या का आरोप है, उसका संबंध राजद के कुछ बड़े नेताओं से है। इसी कारण घटना के बाद स्थानीय राजद नेताओं की चुप्पी और पुलिसिया कार्रवाई को लेकर भी लोग नाराज़ दिखे। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि राजनीतिक दबाव के कारण कई पहलुओं की जांच ढकी जा रही है।
इस तीखे विरोध के बीच सांसद सुधाकर सिंह ने सफाई देते हुए कहा, “हम पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे थे। यह एक गंभीर मामला है और राजद इस पर दुखी है। लालू जी ने खुद तेजस्वी यादव को निर्देश दिया है कि वे अहिया पूर आएं और लोगों से मिलें।” हालांकि उनकी सफाई ग्रामीणों को संतुष्ट नहीं कर सकी और माहौल तनावपूर्ण बना रहा।
क्या है मामला
गौरतलब है कि अहिया पूर गांव में सात दिन पहले तीन लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई थी। परिजनों ने आरोप लगाया कि यह हमला सुनियोजित था और इसमें इलाके के कुख्यात अपराधी शामिल थे, जो लंबे समय से राजनैतिक संरक्षण में फल-फूल रहे हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन अब तक किसी बड़े आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हुई है। दूसरी ओर, इस घटना ने स्थानीय राजनीति में अपराध और सत्ता के गठजोड़ की बहस को फिर से हवा दे दी है।