दिल्ली के राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत में जमीन के बदले नौकरी घोटाले (Land-for-Job Case) से जुड़े बहुचर्चित भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई एक बार फिर टल गई। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव सहित सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर हो रही सुनवाई मंगलवार को स्थगित कर दी गई। अदालत ने अगली तारीख 15 दिसंबर निर्धारित की है।
CBI ने अदालत से बताया कि उन्हें अब भी आरोपितों की स्थिति की विस्तृत जानकारी संकलित करने और कई पहलुओं की पुष्टि करने के लिए और समय की आवश्यकता है। इस आधार पर एजेंसी ने कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा, जिसके बाद सुनवाई आगे बढ़ा दी गई। यह तीसरी बार है जब लगातार इस मामले की सुनवाई टल गई है।
पिछली सुनवाई में, 8 दिसंबर को भी CBI ने अदालत से इस मामले के 103 आरोपियों की स्थिति सत्यापित करने के लिए अतिरिक्त वक्त की मांग की थी। विशेष CBI जज विशाल गोगने इस बात पर गौर कर रहे हैं कि क्या अदालत के समक्ष मौजूद सबूत आरोप तय करने के लिए पर्याप्त हैं या नहीं। 4 दिसंबर को अदालत ने CBI को आरोपियों की स्थिति से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। उल्लेखनीय है कि इस केस के 103 आरोपितों में से चार की मृत्यु हो चुकी है।
CBI का दावा है कि जब 2004 से 2009 के बीच लालू यादव रेल मंत्री थे, तब जबलपुर स्थित पश्चिम-मध्य रेलवे जोन में ग्रुप–D पदों पर हुई नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन हुआ। एजेंसी के अनुसार, नौकरियों के बदले कई उम्मीदवारों से बिहार में जमीन ली गई, जिसे लालू परिवार या उनके नजदीकी व्यक्तियों के नाम पर उपहार के रूप में स्थानांतरित किया गया।
CBI ने इस पूरे प्रकरण को बेनामी संपत्ति, आपराधिक साजिश, भ्रष्टाचार और सरकारी नियुक्ति नियमों के उल्लंघन का गंभीर मामला बताया है। वहीं, लालू परिवार और अन्य आरोपी राजनीतिक साजिश का आरोप लगाते हुए सभी आरोपों से इनकार करते आए हैं।
अब 15 दिसंबर की सुनवाई के दौरान यह साफ होगा कि क्या CBI की ओर से प्रस्तुत किए गए दस्तावेज और आरोप अदालत को आरोप तय करने के लिए पर्याप्त लगते हैं या नहीं। इस हाई-प्रोफाइल केस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि फैसला आने पर बिहार की राजनीतिक जमीन पर बड़ा असर पड़ सकता है।





















