मुंबई/पुणे: कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री विजय वडेट्टीवार ने मशहूर मंगेशकर परिवार पर तीखा हमला करते हुए उन्हें “लुटेरों का गिरोह” करार दिया है। पुणे में एक गर्भवती महिला की मौत को लेकर उठे विवाद के बाद वडेट्टीवार के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि मंगेशकर परिवार ने कभी समाज की भलाई के लिए कुछ नहीं किया और सिर्फ प्रसिद्धि का लाभ उठाया। उन्होंने कहा, “मंगेशकर परिवार मानवता पर कलंक है। वह लुटेरों का गिरोह है। क्या आपने कभी सुना है कि उन्होंने समाज के लिए कोई दान दिया हो? सिर्फ इसलिए कि वे अच्छा गाते हैं, उनकी सराहना की जाती है।”
यह विवाद तब शुरू हुआ जब पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में एक गर्भवती महिला तनीषा भिसे को भर्ती करने से कथित तौर पर सिर्फ इसलिए मना कर दिया गया क्योंकि वह 10 लाख रुपये की अग्रिम राशि नहीं दे सकीं। तनीषा, बीजेपी एमएलसी अमित गोरखे के निजी सचिव की पत्नी थीं। बाद में उन्हें एक अन्य अस्पताल ले जाया गया, जहां जुड़वां बच्चियों को जन्म देने के बाद उनकी मौत हो गई।
वडेट्टीवार ने इस घटना को अमानवीय बताते हुए कहा कि जिस परिवार के नाम पर अस्पताल चलाया जा रहा है, उसने कभी गरीबों की मदद नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि धर्मार्थ अस्पताल के नाम पर लाभ कमाने और जरूरतमंदों को लूटने का काम हो रहा है।
विवाद बढ़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी समेत कई दलों ने कांग्रेस नेता के बयान की कड़ी आलोचना की है। बीजेपी नेताओं ने इसे अपमानजनक और असंवेदनशील करार दिया है, वहीं मंगेशकर परिवार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
गौरतलब है कि दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल को पुणे के एरंडवाने क्षेत्र में छह एकड़ भूमि पर बनाया गया था, जो खिलारे पाटिल परिवार द्वारा दान की गई थी। यह अस्पताल 2001 में मराठी गायक और अभिनेता दीनानाथ मंगेशकर की स्मृति में शुरू किया गया था, जो प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर के पिता थे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने एक जांच समिति का गठन किया है, जिसने अस्पताल पर उन मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाया है, जो धर्मार्थ संस्थानों को आपातकालीन स्थिति में अग्रिम राशि मांगने से रोकते हैं। यह मामला अब राजनीति, चिकित्सा नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी के बहस के केंद्र में आ गया है।