बिहार विधानमंडल के बजट सत्र 2025 के पांचवें दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही सदन के बाहर हंगामे का माहौल बन गया। लेफ्ट के विधायकों ने किसानों और मजदूरों के हक की लड़ाई तेज कर दी।
हाथों में पोस्टर और बैनर लिए लेफ्ट के विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए नजर आए। उन्होंने किसानों को मुफ्त बिजली और स्वच्छताग्रहियों का मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया।
“मजदूरों के साथ अन्याय कब तक?” – विपक्ष का सवाल
लेफ्ट विधायकों का आरोप है कि बिहार सरकार मजदूरों का लगातार शोषण कर रही है। पूरे राज्य में हजारों स्वच्छताग्रही हैं, जो 12-12 घंटे काम करने के बावजूद सिर्फ 1,500 से 3,000 रुपये तक की मामूली तनख्वाह पर गुजारा कर रहे हैं। पिछले 18 महीने से उनका वेतन भी बकाया है, जिससे उनका जीवन मुश्किलों से घिरा हुआ है। बिहार में दैनिक मजदूरी 368 रुपये तय है, लेकिन स्वच्छताग्रही न्यूनतम मजदूरी से भी वंचित हैं।
किसानों के लिए मुफ्त बिजली क्यों जरूरी?
राज्य में किसानों को सिंचाई के लिए भारी बिजली बिल चुकाना पड़ रहा है। विपक्ष का कहना है कि देश के पांच राज्यों में किसानों को मुफ्त बिजली दी जा रही है, तो बिहार में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? लेफ्ट विधायकों ने सरकार को घेरते हुए कहा कि बिहार और केंद्र में डबल इंजन की सरकार है, फंड की कोई कमी नहीं है।