पटना के सोन भवन में शुक्रवार को आस्था फाउंडेशन द्वारा आयोजित वॉक फॉर लाइफ कार्यक्रम में स्वास्थ्य जागरूकता की एक अनूठी पहल देखने को मिली। पब्लिक अवेयरनेस फॉर हेल्थफुल अप्रोच फॉर लिविंग (पहल) के चिकित्सा निदेशक और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने इस अवसर पर जीवनशैली जनित रोगों को मौन हत्यारा करार दिया और इनके प्रति लोगों को सचेत रहने की सलाह दी।
डॉ. तेजस्वी ने बताया कि आधुनिक जीवनशैली, जो सुविधाओं से भरपूर तो है लेकिन तनाव और अनियमितता से ग्रस्त है, कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे रही है। इनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग, फैटी लिवर, अनिद्रा और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं शामिल हैं। ये रोग अचानक नहीं होते, बल्कि वर्षों तक अनुचित खानपान, शारीरिक निष्क्रियता और अत्यधिक तनाव के कारण धीरे-धीरे शरीर को भीतर से कमजोर कर देते हैं।
विशेष रूप से वरिष्ठ अधिकारियों और कॉर्पोरेट जगत से जुड़े लोगों में इन बीमारियों की संभावना अधिक होती है। अत्यधिक कार्यभार, लगातार बैठकर काम करना, मीटिंग्स और यात्राओं की व्यस्तता तथा कठिन निर्णय लेने की जिम्मेदारियां उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
कैसे करें जीवनशैली रोगों पर नियंत्रण?
डॉ. तेजस्वी के अनुसार, इन रोगों से बचने और नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव आवश्यक हैं—
- संतुलित आहार: हरी सब्ज़ियां, फल, साबुत अनाज और कम वसा वाला भोजन लें। जंक फूड और मीठे पदार्थों से परहेज करें।
- नियमित व्यायाम: प्रतिदिन 30 मिनट की तेज़ चाल, योग, तैराकी या हल्की एक्सरसाइज़ करें। लंबे समय तक बैठने से बचें और लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करें।
- तनाव प्रबंधन: ध्यान, प्राणायाम और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों को अपनाएं।
- पर्याप्त नींद: रोजाना 6-8 घंटे की अच्छी नींद लें और कार्य एवं व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाए रखें।
- नियमित स्वास्थ्य जांच: ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफाइल, लिवर और थायरॉइड की जांच साल में एक बार अवश्य कराएं।
डॉ. तेजस्वी ने चेतावनी दी कि जीवनशैली रोग धीरे-धीरे शरीर को भीतर से खत्म करने वाले मौन हत्यारे हैं। लेकिन समय पर सावधानी बरतकर, संतुलित जीवनशैली अपनाकर और नियमित जांच कराकर न केवल इन बीमारियों से बचा जा सकता है, बल्कि उन्हें प्रभावी ढंग से नियंत्रित भी किया जा सकता है।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया— “स्वस्थ अधिकारी, सशक्त संस्था की नींव होते हैं। अब समय आ गया है कि स्वास्थ्य को भी अपनी प्राथमिकता सूची में शामिल किया जाए।”