राजनीति के मैदान में तलवारें नहीं, शब्दों की धार वाले तीर चल रहे हैं। जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार और लोजपा सांसद राजेश वर्मा के बीच सियासी टकराव ने एक “वर्चुअल युद्ध” का रूप ले लिया है, जहां एक तरफ “सोने की लंका” के ढहने की बयानबाजी है, तो दूसरी ओर “कुत्ता और गीदड़” जैसे अपमानजनक शब्दों की गूंज। यह टकराव सिर्फ दो नेताओं का नहीं, बल्कि विरासत की राजनीति बनाम जनादेश के दावे की उस लड़ाई का प्रतीक है, जिसकी जड़ें बिहार की मिट्टी में गहरी हैं।
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‘गीदड़’ vs ‘लंका’: क्या है विवाद?
परबत्ता के जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार ने LJPR सांसद राजेश वर्मा का नाम लिए बिना इशारे में “कुत्ता और गीदड़” जैसे अमर्यादित शब्द कह दिए। इसके बाद राजेश वर्मा ने रामायण के रूपक से जवाब देते हुए कहा कि “सोने की लंका ढह गई है। जो शस्त्र उठाते हैं, वे गर्त में चले जाते हैं।” सांसद ने विधायक पर “बुलेटप्रूफ गाड़ी में घूमने वाले डरपोक” होने का आरोप लगाया और कहा कि “कमीशनखोरी कुछ लोगों की विरासत है, लेकिन मैं सेवा के लिए आया हूँ।”
‘विरासत’ बनाम ‘जनता का संस्कार’
सांसद वर्मा ने जदयू विधायक को “राजनीतिक विरासत के भरोसे बैठे” नेता करार देते हुए तीखा सवाल किया: “जिन्हें महलों में पलना है, वे जनता का दर्द क्या समझेंगे?” उन्होंने जोर देकर कहा कि “पुरखों की जागीर राजनीति नहीं है। मुझे जनता ने विरासत में जनादेश दिया है।” इसके विपरीत, डॉ. संजीव कुमार ने “वजूद बचाने के लिए हथियार उठाने” की बात कही, जिस पर वर्मा ने व्यंग्य किया: “हथियार दिखाने का ज़माना लद गया। अब जनता की नज़र सब देख रही है।” सांसद राजेश वर्मा ने विधायक की “बुलेटप्रूफ गाड़ी” को लेकर कहा कि “इसको डर लगता है, इसलिए यह सुरक्षित कवच में छिपा रहता है।”