बिहार की बेटी ने फिर एक बार इंग्लैंड के पार्लियामेंट हाउस में भारत का परचम लहराया। 24-25 मार्च की शाम ब्रिटिश पार्लियामेंट में इंस्पायरिंग इंडियन वूमेन (IIW) की ओर से शी इंस्पायर अवार्ड-2025 (She Inspire Award 2025) का आयोजन किया गया, जिसमें दुनियाभर की भारतीय ओरिजन की इंस्पायरिंग महिलाओं को सम्मानित किया गया। इस आयोजन में मुजफ्फरपुर से पढ़ी-लिखी बिहार की मधु चौरसिया को उनके कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
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मधु चौरसिया की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय संगठन बेगूसराय में हुई, बी.ए. की परीक्षा उन्होंने मगध विश्वविद्यालय, गया से की। उनके पिता केन्द्रीय विद्यालय संगठन में कार्यरत थे। अब वो रिटायर हो चुके हैं । पहले वो पोखड़िया पीर रामदयालु में रहते थे ,लेकिन रिटायरमेंट के बाद वो अपने पुश्तैनी गांव खगड़िया चले गए। मधु अपने बचपन में बिहार में बिताए दिनों को आज भी याद कर भावुक हो जाती हैं। हर साल इंटरनेशनल वुमन्स डे के उपलक्ष्य में यह आयोजन किया जाता है। साल 2017 में इसकी शुरुआत रश्मि मिश्रा ने की।

इस आयोजन में 50 से 80 महिलाओं को हर साल सम्मानित किया जाता है। इस आयोजन का उद्देश्य दुनियाभर में महिलाओं के अथक प्रयास को दुनिया के सामने सराहना है। अपने इस आयोजन का रश्मि को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। इस आयोजन में ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन के हाथों महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। बॉब ब्लैकमैन को 2020 में भारतीय सम्मान पद्मश्री से नवाजा जा चुका है। इस आयोजन में दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाने वाली कई प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
इस आयोजन में बिहार की मूल निवासी मधु चौरसिया को धर्मा दुबे अवार्ड से सम्मानित किया गया। मधु पिछले 10 साल से इंग्लैंड में रह रही है। अब वो वहां की मूल निवासी हैं। पेशे से मधु एक शिक्षिका हैं, साथ ही वो फ्रीलांस जर्नलिस्ट भी हैं। वो लगातार 4 साल से इंग्लैंड में एक टीवी शो होस्ट कर रही हैं, जिसमें महिलाओं की इंस्पायरिंग स्टोरी पर चर्चा होती हैं।

मधु ने भारत में अपने पत्रकारिता की शुरुआत बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर से की। वह बिहार विश्वविद्यालय में एम ए हिन्दी साहित्य की छात्रा भी रहीं। मधु ने मुजफ्फरपुर में हिन्दुस्तान न्यूज़ पेपर से अपने करियर की शुरुआत की। साल 2006 में उन्होंने वहां काम किया जिसके बाद उनका चयन ईटीवी हैदराबाद में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपनी सेवा दीॉ। साल 2008 में उन्होंने रायपुर छच्चीसगढ़ में जी न्यूज में सीनियर कॉपी एडिटर के तौर पर काम किया।
घर गृहस्थी में व्यस्तता के कारण साल 2011 में उन्होंने कुछ साल के लिए पत्रकारिता से विराम लिया। साल 2015 में वो इंग्लैंड चली गई और वहां से उन्होंने कई भारतीय मीडिया हाउस के लिए लगातार काम किया। वहां कोविड के दौरान उन्होंने एक रेडियो जॉकी के तौर पर काम किया। कोविड के दौरान उन्हें एक टीवी शो होस्ट करने का मौका मिला जो इंग्लैंड में स्काइ चैनल पर प्रसारित होता है और मा टीवी पर नारी तू नारायणी के नाम से जाना जाता है। इस कार्यक्रम में वो इंस्पायरिंग इंडियन महिलाओं की कहानियां पर चर्चा करती हैं।

मधु चौरसिया की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय संगठन बेगूसराय में हुई, बी.ए. की परीक्षा उन्होंने मगध विश्वविद्यालय, गया से की। उनके पिता केन्द्रीय विद्यालय संगठन में कार्यरत थे। अब वो रिटायर हो चुके हैं । पहले वो पोखड़िया पीर रामदयालु में रहते थे, लेकिन रिटायरमेंट के बाद वो अपने पुश्तैनी गांव खगड़िया चले गए। मधु अपने बचपन में बिहार में बिताए दिनों को आज भी याद कर भावुक हो जाती हैं। वहीं, पटना की मूल निवासी मंजरी सिंह के उनके कम्युनिटी वर्क के लिए सम्मानित किया गया। मंजरी पिछले 25 सालों से स्कॉटलैंड में अपनी सेवा दे रही हैं।