भोपाल : मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों के बीच तापी मेगा रिचार्ज परियोजना पर सहमति बन चुकी है, जिसके तहत बांध निर्माण कर प्राकृतिक रूप से भूजल को रिचार्ज किया जाएगा। यह परियोजना जल भंडारण क्षेत्र में एक अभिनव और अनोखा प्रयोग सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस परियोजना की घोषणा करते हुए कहा कि यह मध्य प्रदेश के लिए तीसरी प्रमुख अंतरराज्यीय नदी परियोजना है, जो केन-बेतवा लिंक परियोजना (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश) और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना (मध्य प्रदेश और राजस्थान) के बाद शुरू की जा रही है।
तापी नदी, जो मध्य प्रदेश के बेतुल जिले से निकलती है, से पानी को उत्तर-पूर्वी महाराष्ट्र, जिसमें नागपुर शामिल है, की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने और मध्य प्रदेश के दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी जिलों जैसे बुरहानपुर और खंडवा में सिंचाई समर्थन प्रदान करने के लिए मोड़ा जाएगा।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस परियोजना से 5.78 लाख एकड़ भूमि को लाभ होगा और विदर्भ तथा उत्तर महाराष्ट्र में सिंचाई को बढ़ावा मिलेगा। डॉ. यादव ने बताया कि इस योजना के तहत कुल 31.13 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी) पानी का उपयोग किया जाएगा, जिसमें से 11.76 टीएमसी मध्य प्रदेश को और 19.36 टीएमसी महाराष्ट्र को आवंटित किया गया है।
यह परियोजना बुरहानपुर और खंडवा (मध्य प्रदेश) तथा अकोला, अमरावती और बुलढाणा (महाराष्ट्र) जैसे जिलों को लाभान्वित करेगी, जो ऐतिहासिक रूप से भूजल तनाव और अनियमित वर्षा का सामना करते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय सरकार से परामर्श कर तापी पहल को राष्ट्रीय जल परियोजना के रूप में मान्यता दिलाने की इच्छा व्यक्त की।
तापी नदी, जो नर्मदा के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबी पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर गुजरती है। इस परियोजना से क्षेत्रीय जल सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और दोनों राज्यों के लिए सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।