एक दिसम्बर को होने वाले बिहार विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आज महागठबंधन के विधायकों की बैठक (Mahagathbandhan Meeting) हुई। बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि हालिया चुनाव परिणामों में हुई कथित वोट चोरी के मुद्दे को महागठबंधन अब सीधे जनता के बीच ले जाएगा और इस विषय पर व्यापक जनसंवाद चलाया जाएगा। विपक्ष ने दावा किया कि जनादेश बदला गया है, इसलिए अब जनता से सीधी बातचीत ही संघर्ष का मुख्य माध्यम बनेगी।
बैठक में एक और महत्वपूर्ण फैसला यह लिया गया कि आने वाले विधानसभा सत्र के दौरान महागठबंधन के सभी विधायक सदन में पूर्ण उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे। विपक्षी दलों ने साफ कहा कि वे सरकार की हर ‘गलत नीति’ को सदन के भीतर और बाहर दोनों मोर्चों पर पुरज़ोर तरीके से चुनौती देंगे।
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कांग्रेस नेता एवं बिहार विधान परिषद सदस्य समीर कुमार सिंह ने कहा कि जनता ने महागठबंधन को जो वोट दिया था, उसे पूरा राज्य देख चुका है, लेकिन परिणाम इसके उलट आया। उन्होंने घोषणा की कि इसी मुद्दे को लेकर महागठबंधन गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद करेगा। साथ ही उन्होंने बताया कि तेजस्वी यादव को एक बार फिर सर्वसम्मति से महागठबंधन विधायक दल का नेता चुना गया है, और वे ही विधानसभा में विपक्ष का नेतृत्व करेंगे। कांग्रेस के चार विधायकों की अनुपस्थिति पर सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि वे दिल्ली में पार्टी की बैठक के कारण शामिल नहीं हो पाए, लेकिन पूरा महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है।

राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने भी बैठक के बाद कहा कि विपक्ष सरकार की हर गलत नीति का तीखा विरोध करेगा और तेजस्वी यादव को नेता मानकर आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाएगा।
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सीपीआईएम विधायक अजय कुमार ने भी साफ कहा कि विपक्ष के सभी विधायक विधानसभा में मौजूद रहेंगे, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों। उन्होंने कहा कि जिस तरह से वोट चोरी हुई और प्रदेश ने देखा, उस पर अब महागठबंधन जनता के बीच जाकर जागरूकता अभियान चलाएगा। महागठबंधन ने बैठक में तय किया कि आने वाले समय में सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज किया जाएगा। विपक्षी दलों ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे अब सड़क से लेकर सदन तक हर मोर्चे पर सक्रिय रहेंगे और सरकार को कठोर चुनौती देंगे।






















