Mahagathbandhan Seat Sharing Final: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच महागठबंधन की सबसे बड़ी राजनीतिक गुत्थी अब सुलझने की कगार पर है। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में तेजस्वी यादव के नाम पर सभी घटक दलों ने अपनी सहमति दे दी है, जिससे गठबंधन के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रहा अनिश्चितता का दौर समाप्त होता दिख रहा है। अब नजरें सिर्फ सीटों के अंतिम बंटवारे और उसके औपचारिक ऐलान पर टिक गई हैं, जिसकी घोषणा बुधवार या गुरुवार तक होने की संभावना है।
रविवार को पटना में हुई महागठबंधन की समन्वय समिति की बैठक में लगभग तीन घंटे तक चली गहन चर्चा के बाद यह सहमति बनी कि पिछली बार की स्ट्राइक रेट और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर सीटों का बंटवारा किया जाएगा। पहले जहां करीब दो दर्जन सीटों पर मतभेद था, अब मामला सिर्फ आधा दर्जन सीटों तक सीमित रह गया है। सूत्रों का कहना है कि राजद और कांग्रेस के बीच कुछ सीटों पर अंतिम मंथन बाकी है, जिसे बुधवार की बैठक में सुलझा लिया जाएगा।
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बैठक में तय हुआ कि 2019 और 2020 के चुनावों में जिस दल की स्थिति मजबूत रही, उस सीट पर उसका दावा बरकरार रहेगा। कुछ सीटों पर प्रतीकात्मक फेरबदल संभव है, लेकिन महागठबंधन की एकता को किसी कीमत पर नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा।
राजद की ओर से सांसद संजय यादव, पूर्व मंत्री आलोक मेहता, कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी, और वामदलों के कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे। तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी नेताओं ने यह तय किया कि चुनाव अभियान और घोषणा पत्र को लेकर साझा रणनीति जल्द तैयार की जाएगी।
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने बैठक के बाद बड़ा बयान देते हुए कहा कि सीट बंटवारे को लेकर सब कुछ तय हो चुका है। उन्होंने कहा, “बस औपचारिक बैठक बाकी है। बहुत जल्द प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोषणा कर दी जाएगी। यह सीट बंटवारे से पहले की आखिरी रात है।”

लेफ्ट दलों के नेताओं ने भी संकेत दिया कि सभी बिंदुओं पर सहमति बन चुकी है और दो दिनों के भीतर प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए सीटों की घोषणा कर दी जाएगी। राजद नेता आलोक मेहता ने भी कहा कि “अब सब कुछ फाइनल स्टेज में है, बस औपचारिक घोषणा बाकी है। कुछ मामलों पर बातचीत चल रही है, लेकिन परिणाम जल्द सामने आएगा।”
कौन कितनी सीटों पर
संभावित सीट वितरण के अनुसार, कांग्रेस को 55 से 58, वीआईपी को 18 से 20, और वाम दलों को 35 से 38 सीटें मिल सकती हैं। पशुपति कुमार पारस की रालोजपा को तीन सीटें और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को दो-तीन सीटें देने पर सहमति बनी है। बची हुई करीब 130 सीटें राजद के खाते में जाएंगी। यह वितरण पिछले चुनावों में दलों की परफॉर्मेंस और क्षेत्रीय समीकरणों के अनुसार तय किया गया है।
पिछले विधानसभा चुनाव में राजद ने 144, कांग्रेस ने 70 और वामदलों ने 31 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। उस समय वीआईपी एनडीए में शामिल थी जबकि लोजपा अकेले मैदान में थी। अब जब महागठबंधन एकजुट होकर चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रहा है, तो तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर सभी दलों ने विश्वास जताया है।






















