बिहार की सियासत ने आज दोपहर एक नए मोड़ की ओर कदम बढ़ा दिया है। विधानसभा चुनाव 2025 की दस्तक से पहले पटना स्थित राजद कार्यालय में महागठबंधन के शीर्ष नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। दोपहर 2 बजे से शुरू होने वाली इस बैठक में सीधी टक्कर अब एनडीए से है, तो अंदरूनी टकराव की आहट भी सुनाई देने लगी है।
इस बैठक में राजद नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की अगुवाई में कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियों और वीआईपी जैसे सहयोगी दलों के नेता शामिल हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, बैठक का मुख्य एजेंडा सीट शेयरिंग और चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देना है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी के मुताबिक, “अब चुनावी समय है, इसलिए रणनीतिक चर्चा ज़रूरी है। तेजस्वी यादव महागठबंधन के स्वाभाविक मुख्यमंत्री चेहरा हैं और इसमें कोई भ्रम नहीं है।”
पोस्टरों की जंग: ‘2025 से 2030 फिर से नीतीश’ बनाम ‘अब नहीं चाहिए नीतीश’
जैसे ही जेडीयू ने नया चुनावी नारा दिया – “2025 से 2030 फिर से नीतीश”, सियासी हलचल और तेज हो गई। इस पर राजद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। मृत्युंजय तिवारी ने पलटवार करते हुए कहा, “बिहार की जनता अब कह रही है – 2025 में अब नहीं चाहिए नीतीश। यहां तक कि बीजेपी भी अब नीतीश को किनारे कर रही है। हरियाणा के मुख्यमंत्री तक कह चुके हैं कि बिहार में अगला मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी होंगे।”
महागठबंधन के भीतर संतुलन और कांग्रेस की नई आक्रामकता
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी इस बार आरजेडी के सामने खुद को कमजोर नहीं पड़ने देने का संकल्प ले रखा है। कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू के नेतृत्व में पार्टी बिहार में नए तेवर और टोन में नजर आ रही है। सीट शेयरिंग और नेतृत्व को लेकर कांग्रेस अपने पक्ष को मजबूती से रख रही है। ऐसे में बैठक महज संख्या का खेल नहीं बल्कि सत्ता के संतुलन का ताना-बाना बुनने की कोशिश है।
जनता की अदालत और चेहरों की सियासत
सी-वोटर के हालिया सर्वे में तेजस्वी यादव को जनता की पहली पसंद बताया गया है, जिससे आरजेडी के हौसले बुलंद हैं। आरजेडी प्रवक्ता ने कहा, “तेजस्वी यादव ने काम किया है, भरोसा जीता है। जनता 14 करोड़ की मालिक है और वो तय कर चुकी है कि 2025 में बिहार की बागडोर तेजस्वी के हाथ में देनी है।”
एक तरफ एनडीए ‘फिक्स’ का नारा दे रहा है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन ‘मिक्स’ को दुरुस्त करने में जुटा है। सीटों की सौदेबाज़ी, चेहरों का मंथन और पार्टियों के भीतर-बाहर की राजनीति बिहार चुनाव 2025 को अब रोमांचक मोड़ पर ले जा रही है। क्या महागठबंधन एकजुट होकर चुनावी रण में उतरेगा? या चेहरों की लड़ाई अंत में गठबंधन की एकता पर भारी पड़ेगी? इसका जवाब अगले कुछ दिनों में मिल सकता है।
अगली अहम बैठक 17 अप्रैल को होने वाली है, जो तय करेगी कि महागठबंधन की गाड़ी पटरी पर रहेगी या चुनावी रेल किसी और रूट पर मुड़ जाएगी।