छपरा: ऐतिहासिक चेतना, राष्ट्रगौरव और वीरता की मिसाल महाराणा प्रताप की जयंती को लेकर सारण विकास मंच द्वारा छपरा में एक भव्य और प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह समारोह न सिर्फ ऐतिहासिक स्मृतियों को ताजा करने वाला रहा, बल्कि वर्तमान राष्ट्र-परिस्थितियों के संदर्भ में एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरा। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई। इसके बाद भारतीय सेना के साहस और बलिदान को नमन करते हुए दो मिनट का मौन भी रखा गया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने जीता दिल
सबसे आकर्षक प्रस्तुति रही – “महाराणा का शौर्य गायन”, जिसमें कु. अंशिका और कु. अन्वेषा ने हारमोनियम पर श्री भगवान शर्मा की संगत में भावपूर्ण प्रस्तुति दी। इस गान ने दर्शकों को महाराणा प्रताप के बलिदान और संघर्ष के युग में लौटा दिया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्याम प्रसाद साह को विशेष सम्मान प्रदान किया गया। सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह को ‘राजवीर सम्मान’ स्वरूप तलवार और पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया। मंच संचालन किया अमित नयन ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन विनोद मांझी द्वारा प्रस्तुत किया गया।
संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि “महाराणा प्रताप ने संघर्षशील मृत्यु को अपमानजनक जीवन से बेहतर समझा। आज जब हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर से आतंकी हमलों की धमक बनी हुई है, तब राणा की तरह निडरता और एकता की जरूरत पहले से ज्यादा है।” उन्होंने भामा शाह, भील समाज, और हकीम खान सूरी जैसे विविध समुदायों के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि “प्रताप की सेना में जाति या धर्म नहीं, केवल राष्ट्रभक्ति मायने रखती थी। यह हमें आज के भारत के लिए भी प्रेरणा देता है।”

इस ऐतिहासिक आयोजन में जिले के कई शिक्षाविद, समाजसेवी, विद्यार्थी और सांस्कृतिक कार्यकर्ता शामिल हुए। उपस्थित प्रमुख हस्तियों में थे:
छविनाथ सिंह, रितेश सिंह, भोलू सिंह, अमरनाथ सिंह, संतोष सिंह, बबलू सिंह, गोलू सिंह, अभिषेक राय, सोनू राय, बच्चा सिंह, डॉ. ददन महतो, राकेश सिंह आदि।