नई दिल्ली : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष और पूर्व जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ईरान-इजरायल संघर्ष पर एक साहसिक बयान दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, मुफ्ती ने ईरान के लोगों, वहां की सेना और नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि उनके पास न तो परमाणु हथियार हैं और न ही उन्नत सैन्य तकनीक, फिर भी उनका सबसे बड़ा हथियार उनका ईमान और शहादत का जज्बा है। उन्होंने दावा किया कि इसी के दम पर ईरान ने इजरायल को घुटनों पर ला दिया है।
ईरान और इजरायल के बीच तनाव जून 2025 से युद्ध में तब्दील हो गया है, जिसमें अमेरिका भी शामिल हो गया है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह संघर्ष अब पूरी तरह से खुले मोर्चे पर है, जिसमें दोनों पक्षों ने प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है। हालांकि, मुफ्ती के बयान में ईरान के पास हथियारों की कमी का उल्लेख है, जो वास्तविकता से मेल नहीं खाता। 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के पास 6.10 लाख सक्रिय और 3.50 लाख रिजर्व सैनिक हैं, और 1979 की क्रांति के बाद से देश ने स्वदेशी हथियारों का विकास किया है, जो इसे एक मजबूत सैन्य शक्ति बनाता है।
ईरान और इजरायल के संबंधों में 1979 की ईरानी क्रांति के बाद उलटफेर आया। एक समय सहयोगी रहे ये दोनों देश अब कट्टर दुश्मन हैं। विकिपीडिया के 2025 अपडेट के मुताबिक, ईरान ने इजरायल के खिलाफ अपनी नीति को कड़ा करते हुए हिजबुल्लाह जैसे समूहों का समर्थन शुरू किया, जो क्षेत्रीय संघर्षों में एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है। जर्नल ऑफ कन्फ्लिक्ट रिजॉल्यूशन (2023) की एक स्टडी के अनुसार, यह वैचारिक बदलाव प्रॉक्सी युद्ध की रणनीति का हिस्सा है।
महबूबा मुफ्ती का यह बयान राजनीतिक और सैन्य विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोग इसे ईरान के प्रति समर्थन के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे वास्तविकताओं से परे एक भावनात्मक बयान मान रहे हैं। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाल ही में दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की, हालांकि न तो ईरान और न ही इजरायल ने इसकी पुष्टि की है।