श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को एक बयान में केंद्र सरकार से उन पाकिस्तानी मूल की महिलाओं के प्रति सहानुभूति दिखाने की अपील की है, जिनकी शादी 30-40 साल पहले भारतीय पुरुषों से हुई थी। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं और उनके परिवारों को अब हिंदुस्तानी ही माना जाना चाहिए, न कि पाकिस्तानी।
महबूबा मुफ्ती ने कहा, “ध्यान रखा जाए कि आम लोगों के घर न गिराए जाएं। कुछ लोग जो पाकिस्तान से आए हैं, उनमें से कुछ ऐसी महिलाएं हैं जिनकी शादी 30-40 साल पहले हुई थी। उनके पोते-पोतियां हैं, उनका घर तो हिंदुस्तान है। वे अपने आपको हिंदुस्तानी समझते हैं। इस उम्र में वे कहां जाएंगे? मैं उम्मीद करती हूं कि गृह मंत्री इस पर सहानुभूति पूर्ण निर्णय लेंगे। वे सभी अपने आपको हिंदुस्तानी मानते हैं, पाकिस्तानी नहीं।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ा हुआ है। 22 अप्रैल 2025 को हुए इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें दो विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा निलंबित कर दिया और उन्हें 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया था। इस हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया गया है, जिसमें आम नागरिकों और आतंकवादियों के बीच अंतर करने की चुनौती भी सामने आई है।
महबूबा मुफ्ती ने इस मुद्दे को मानवीय आधार पर हल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं और उनके परिवारों को बेघर करना उचित नहीं होगा, क्योंकि वे लंबे समय से भारत में रह रहे हैं और अपनी पहचान भारतीय के रूप में देखते हैं।
जम्मू-कश्मीर में विस्थापन और पहचान का मुद्दा लंबे समय से जटिल रहा है। 1948 के भारत-पाक युद्ध और 1989 की उग्रवाद की शुरुआत के बाद से इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विस्थापन देखा गया है। कश्मीरी पंडितों का पलायन इसका एक बड़ा उदाहरण है। 2010 में, जम्मू-कश्मीर सरकार ने पूर्व उग्रवादियों के लिए एक माफी योजना शुरू की थी, जिसमें उन्हें भारत वापस लौटने की अनुमति दी गई थी, लेकिन उनकी पत्नियों और परिवारों की नागरिकता का मुद्दा अनसुलझा रहा।
महबूबा मुफ्ती का यह बयान उस समय चर्चा में है जब पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले के बाद लंदन में भारतीय समुदाय ने पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन किया था, जिसमें हमले की निंदा की गई और पीड़ितों के लिए इंसाफ की मांग की गई थी।
महबूबा मुफ्ती के बयान पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ लोगों ने उनके मानवीय दृष्टिकोण की सराहना की, जबकि कुछ ने इसे आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई के समय में अनुचित बताया। एक यूजर ने लिखा, “मुसलमानों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए, खासकर पाकिस्तानी मूल के लोगों के लिए। यह एक साजिश हो सकती है।”
इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन मुफ्ती की यह अपील जम्मू-कश्मीर में चल रहे मानवीय और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर एक नई बहस छेड़ सकती है।