पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक सरकारी परियोजना के उद्घाटन समारोह में मंच से केंद्र सरकार और भाजपा पर तीखे हमले किए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बंगाल की अस्मिता और भाषा पर कोई समझौता नहीं होगा। ममता ने कहा कि वह “भाषा विवाद” स्वीकार नहीं करेंगी और बांग्ला भाषा का अपमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगी। मुख्यमंत्री ने केंद्र पर आरोप लगाया कि बंगाल का हक़ मारा जा रहा है और राज्य का पैसा रोककर लोगों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
अपने भाषण में ममता ने भाजपा पर धार्मिक राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कभी उन पर दुर्गा पूजा रोकने का झूठा आरोप लगाया गया, लेकिन अब भाजपा खुद “जय मां दुर्गा” का नारा लगाती है क्योंकि उन्हें एहसास हो गया है कि इससे वोट मिल सकते हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा का धर्म मनगढ़ंत है, जिसमें रामकृष्ण, विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर, काजी नजरूल, आंबेडकर और बिरसा मुंडा जैसी महान विभूतियों की कोई जगह नहीं है।
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ममता ने यह भी कहा कि बंगाल हमेशा से दूसरे राज्यों के लोगों के लिए सुरक्षित रहा है। यहां लगभग 1.5 करोड़ बाहरी राज्य के लोग काम करते हैं और उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर दूसरे राज्यों में बंगालियों के साथ भेदभाव और अत्याचार क्यों होता है।
मुख्यमंत्री ने बंगाल के शिक्षा और प्रतिभा को वैश्विक पहचान दिलाने की बात करते हुए दावा किया कि दुनिया बंगाल के छात्रों और शिक्षकों की क्षमता को सलाम करती है। उन्होंने कहा कि चाहे अमेरिका हो या यूरोप, हार्वर्ड, ऑक्सफोर्ड और कोलंबिया जैसे संस्थान बंगाल की प्रतिभा के बिना अधूरे हैं।
ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री की कुर्सी का सम्मान करती हैं, लेकिन बदले में केंद्र से भी बंगाल के मुख्यमंत्री पद का सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने यह कहकर बंगाल का पैसा रोका कि यहां “चोरी” होती है, जबकि सबसे बड़े घोटाले यूपी, महाराष्ट्र और बिहार जैसे भाजपा शासित राज्यों में हुए हैं। इसके साथ ही ममता ने चुनाव आयोग को भी नसीहत दी कि वह भाजपा का “लॉलीपॉप” न बने, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो जनता कभी माफ नहीं करेगी।






















